नागपुर। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत 24 अक्तूबर को विजयदशमी संबोधन करेंगे। उससे पहले उन्होंने हमास-इजराइल युद्ध पर बयान दिया है। मोहन भागवत ने कहा कि इजराइल-हमास जैसा खूनी संघर्ष या यूक्रेन संकट भारत में कभी पैदा नहीं हो सकता, क्योंकि मुसलमानों सहित सभी समुदाय सुरक्षित हैं। ‘हिंदू राष्ट्र’ पर मराठा राजा शिवाजी की स्पष्टता की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, ‘हिंदू शब्द समावेशिता का उदाहरण है। यह एक सर्वव्यापी अवधारणा है, जिसमें भेदभाव की कोई जगह नहीं है।’
आरएसएस के सरसंघचालक शिवाजी के राज्याभिषेक के 350 साल पूरे होने के अवसर पर प्रताप नगर इलाके के छात्रों और निवासियों को संबोधित कर रहे थे। मोहन भागवत ने कहा, ‘इस देश में एक धर्म, संस्कृति ऐसी है, जो सभी संप्रदायों और आस्थाओं का सम्मान करती है। वह है हिंदू धर्म। यह हिंदुओं का देश है। इसका मतलब यह नहीं है कि हम अन्य सभी (धर्मों) को अस्वीकार करते हैं।’
‘सिर्फ भारत में मुसलमानों को सुरक्षा’
आरएसएस चीफ ने कहा, ‘यहां जब आप हिंदू कहते हैं तो यह बताने की जरूरत नहीं होती कि मुसलमानों को भी सुरक्षा दी गई है। केवल हिंदू ही ऐसा करते हैं। केवल भारत ही ऐसा करता है। दूसरे देशों में ऐसा नहीं होता।’ उन्होंने कहा, ‘सभी जगह संघर्ष हो रहे हैं। आपने यूक्रेन युद्ध, हमास-इजराइल युद्ध के बारे में तो सुना ही होगा। हमारे देश में ऐसे मुद्दों पर कभी युद्ध नहीं हुए। शिवाजी महाराज के समय में हुआ आक्रमण उसी प्रकार का था। लेकिन हमने इस मुद्दे पर कभी किसी से लड़ाई नहीं लड़ी। इसीलिए हम हिंदू हैं।’
‘शिवाजी ने कुतुब शाहियों को हिलाया’
मोहन भागवत ने शिवाजी के साथ गठबंधन करने के उनके रणनीतिक निर्णय का जिक्र करते हुए गोलकोंडा के कुतुब शाही सम्राटों को भी धर्मांतरित कहा। आरएसएस चीफ ने कहा, ‘मराठा योद्धा ने दक्षिण में अपने अभियान का विस्तार किया और उनके कारनामों ने कुतुब शाहियों को हिलाकर रख दिया और उन्हें दोस्ती का हाथ बढ़ाने के लिए मजबूर कर दिया। शिवाजी विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ थे, न कि अपने देशवासियों के। कुतुब शाही भारतीय थे, जिन्होंने किसी समय अपना धर्म बदल लिया।’
‘जंबो का धड़ मराठा सैनिक ने काटा’
मोहन भागवत ने आगे कहा, ‘गोलकोंडा के राजा ने धन और सैन्य शक्ति के असाधारण प्रदर्शन के साथ शिवाजी के स्वागत के लिए विस्तृत व्यवस्था की। उन्होंने शिवाजी से उनकी सेना में हाथियों के बारे में सवाल किया जिस पर मराठा योद्धा ने अपने सैनिकों की ओर इशारा किया। कुतुब शाही राजा ने तब पूछा कि क्या कोई मराठा उनके हाथी से लड़ सकता है। शिवाजी ने चुनौती स्वीकार कर ली और द्वंद्वयुद्ध में, एक मराठा सैनिक ने जंबो का धड़ काट दिया। ये किस्से इतिहासकारों द्वारा दर्ज नहीं किए गए हैं, बल्कि शिवाजी के जीवन की सच्ची कहानियां हैं।’
‘शिवाजी गौरवान्वित हिंदू थे’
भागवत ने कहा, ‘शिवाजी ने शायद ही कभी मुस्लिम शब्द का इस्तेमाल किया था और ऐसा इसलिए था क्योंकि उनकी लड़ाई विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ थी, भारतीयों के खिलाफ नहीं। यही कारण है कि तुर्क या अफगान जैसे शब्द उनके पत्रों का हिस्सा हैं। शिवाजी एक गौरवान्वित हिंदू थे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि वे मुसलमानों के खिलाफ थे।’