बार-बार मांग करने के बावजूद प्रलंबित मांगें पूरी नहीं की जा रही हैं. दरअसल, सरकार एसटी कर्मचारियों को खत्म होता देखना चाहती है. इसके चलते अब हमारे पास आंदोलन के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है.’ महाराष्ट्र एसटी कामगार संघटना के पदाधिकारियों ने आज यह बात कही. सोमवार से मुंबई के आजाद मैदान पर एसटी कर्मचारी संघटना के पदाधिकारी बेमुद्दत अनशन की शुरुआत कर रहे हैं. इस पृष्ठभूमि पर आज संघटना के पदाधिकारियों ने पत्रकारों को जानकारी दी.
संघटना के राज्य उपाध्यक्ष अजय हट्टेवार ने बताया कि एसटी कर्मचारियों की संघटना ने अपनी प्रलंबित मांगों को पूर्ण करने के लिए अलग-अलग तरीके से सरकार तक अपनी बात पहुंचाई. इससे पहले हुए करार की अनेक मांगें अब तक पूरी नहीं की गई हैं. इसमें सरकार पर बकाया 42 फीसदी महंगाई भत्ता लागू करने, घर भाड़ा भत्ता देने, वेतन वृद्धि की दर का अंतर दूर करने, मूल वेतन में घोषित किए गए 5 हजार रुपये, 4 हजार रुपये, ढाई हजार रुपयों के कारण वरिष्ठ कर्मचारियों के वेतन में भारी विसंगतियां पैदा हो गर्इं हैं; उन्हें दूर करने, 4849 करोड़ की बकाया राशि का आवंटन शीघ्र करने, इस राशि का समायोजन कर दस साल के लिए सातवां वेतन आयोग लागू करने, नियमबाह्य रूप से दी जाने वाली सजा को रद्द करने, सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सपरिवार और वर्तमान कर्मचारियों को सभी प्रकार की गाड़ियों में वर्ष भर नि:शुल्क फैमिली पास देने, वाहन रोजनामचा के अनुसार प्रत्यक्ष बस के चलाने का समय निर्धारित करने और नई बसों की आपूर्ति करने जैसी मांगें बार-बार सरकार के समक्ष रखी गर्इं, मगर सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया.
इस संबंध में 3 अगस्त को छत्रपति संभाजीनगर में महाराष्ट्र एसटी कामगार संघटना के राज्य भर के पदाधिकारियों की बैठक संपन्न हुई थी. इस बैठक में सरकार को उपरोक्त मांगों को पूर्ण करने के लिए 10 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया गया था. मांगें पूर्ण नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी गई थी.
लेकिन, सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है. इसके चलते सोमवार 11 सितंबर से मुंबई के आज़ाद मैदान में बेमुद्दत अनशन करने का निर्णय लिया गया है.
संघटना के राज्य उपाध्यक्ष अजय हट्टेवार ने बताया कि सरकार ने एसटी कामगारों की अनेक मांगें तो मंजूर की ही नहीं, अलावा इसके 8 फीसदी महंगाई भत्ते की मांग होने के बावजूद केवल 4 फीसदी भत्ता देकर सरकार ने एसटी कर्मचारियों से उनका हक छीनने का अभियान चला रखा है.
अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि कल से एसटी बसों के चक्के थम जाएंगे अथवा बसें और आंदोलन साथ-साथ चलते रहेेंगे.