हालांकि स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण और उसके साथ ही मनपा चुनाव के लिए प्रभाग संरचना का मामला अदालत में है. जब तक अदालत इन पर कोई निर्णय नहीं देती तब तक चुनाव कब होंगे, यह निश्चित नहीं होगा. लेकिन राजनीतिक खेमों से जैसी चर्चाएं सामने आ रही हैं उस हिसाब से मनपा चुनाव बारिश के खत्म होते ही सितंबर महीने में कराए जा सकते हैं.
इसी हिसाब से ही सभी दल अपनी तैयारी में जुट गए हैं. नागरिकों को सुबह-सुबह पूर्व पार्षदों व संभावित उम्मीदवारों के गुड मार्निंग के मैसेजेस भी आना शुरू हो गए हैं. सत्ताधारी दल हो या विपक्ष सभी की ओर से घोषणाओं, भूमिपूजन व सभाओं की बाढ़ सी सिटी में आ गई है. बड़े-बड़े नेताओं द्वारा पार्टी पदाधिकारियों की बैठकें लेकर चुनाव के संदर्भ में मार्गदर्शन का सिलसिला भी तेज हो गया है.
कयास तो यह भी लग रहे हैं कि लोकसभा चुनाव तक भाजपा राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव को टाल सकती है क्योंकि वह नहीं चाहेगी कि चुनाव के विपरीत परिणामों का कोई भी असर 2024 के चुनाव पर पड़े. राज्य में शिंदे-फडणवीस गुट द्वारा जब से से सत्तापलट की गई है तभी से मविआ भी आक्रामक होकर मैदान में उतर पड़ी है. उनकी वज्रमूठ सभा में उमड़ रहा जनसमुदाय भाजपा के माथे पर बल तो जरूर दे रहा है.
नागपुर में हुई सभा को रोकने के लिए जिस तरह से प्रयास किया गया उससे भी मविआ के स्थानीय नेता खुश हैं. उनका कहना है कि जनता भी समझ रही है कि कौन डर रहा है. पहले हुए विधान परिषद के लिए पदवीधर, शिक्षक निर्वाचन चुनाव क्षेत्र के साथ ही नागपुर जिला परिषद के चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को रणनीतिक तरीके से धूल चटाई है.