एनसीपी प्रमुख शरद पवार इन दिनों अपने बयानों से एक तरफ केंद्र में अपनी सहयोगी पार्टी कांग्रेस के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहे हैं तो दूसरी तरफ राज्य में स्वयं के विजन से खड़ी की गई महाविकास आघाड़ी की एकता की राह में भी रुकावट डालने का काम कर रहे हैं. उनके मन में फिलहाल क्या चल रहा है, यह समझना मुश्किल है. पहले उन्होंने गौतम अडानी के खिलाफ जेपीसी जांच की उपयोगिता पर सवाल खड़े कर राहुल गांधी की मांग को फिजूल ठहरा दिया. अब महाराष्ट्र के मामले में उन्होंने उद्धव ठाकरे पर सवाल खड़े किए.
शरद पवार ने बयान दिया है कि उद्धव ठाकरे ने जब मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया तब उन्होंने सहयोगी पार्टियों के साथ सलाह मशवरा नहीं किया. वे सिर्फ अपनी पार्टी की वजह से सीएम नहीं थे. उनके मुख्यमंत्री बनने में कांग्रेस और एनसीपी के विधायकों का भी योगदान था. तीनों पार्टियों के विधायकों के नंबर जुड़े थे, तब जाकर वे मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन उन्होंने अपने फैसले किसी को बताए बिना इस्तीफा दे दिया. शरद पवार ने यह बयान एक मराठी न्यूज चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में दिया है.
शरद पवार के हालिया बयान बीजेपी को फायदा पहुंचाने वाले
यानी शरद पवार के हाल के बयान सीधे-सीधे राष्ट्रीय राजनीति में यूपीए को और राज्य में महाविकास आघाड़ी को नुकसान पहुंचाने वाले हैं और बीजेपी को सीधे तौर पर फायदे पहुंचाने वाले हैं. अडानी मामले में शरद पवार के विपक्ष से अलग राय रखने पर संजय राउत ने सफाई दी थी. उन्होंने कहा था कि इसका विपक्षी एकता पर असर नहीं होगा. शरद पवार ने गौतम अडानी के खिलाफ जांच की मांग पर एतराज नहीं जताया है, उन्होंने बस जेपीसी की जांच की बजाए न्यायिक जांच का एक विकल्प सुझाया है.
‘शिंदे को बाहर करते हैं, तो सीएम अकेले सक्षम’
शरद पवार की नई नीति और बयानों पर शक करने के और भी कई आधार हैं. पूर्व में मुख्यमंत्री रह चुके कांग्रेस के सीनियर नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने बयान दिया है कि शरद पवार का यह स्टेटमेंट कि ‘जेपीसी की जरूरत नहीं है, अडानी ने कुछ भी नहीं किया,’ खटकनेवाला है. अडसूल ने कहा है कि अगर ऐसा कोई सीन बनता है कि शरद पवार की पार्टी एनसीपी और बीजेपी साथ आ जाएं और दोनों मिलकर शिंदे की शिवसेना को बाहर रखें तो एकनाथ शिंदे राज्य में खुद के दम पर पार्टी का विस्तार करने में सक्षम हैं