उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक बहुमंजिला मकान में सिलेंडर फटने से आग लग गई, जिससे चार बच्चे जिंदा जल गए, जबकि कई लोग झुलस गए हैं। इस अग्निकांड में चार मासूमों की मौत से गांव में मातम पसरा हुआ है। वहीं, आग बुझाने के लिए आई फायर ब्रिगेड की गाड़ी में पानी न होने पर भी ग्रामीणों ने जमकर हंगामा किया।
जानकारी के अनुसार, विकासनगर के त्यूणी पुल के पास शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त सूरत राम जोशी का घर है। बताया जा रहा है कि बहुमंजिला मकान में कई परिवार रहते थे। शाम को लगभग बजे घर से आग की लपटें निकलती दिखाई दीं और उसके बाद तीन-चार धमाकों की आवाज आई। जिस पर लोग उस ओर दौड़ पड़े। आग का विकराल रूप देख कर वहां अफरा-तफरी मच गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि आवाज सिलेंडर फटने जैसी रही है।
आग लगने पर लोगों ने फायर ब्रिगेड को फोन किया। सूचना पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी मौके पर पहुंची, लेकिन उसमें पानी ही नहीं था, जिस वजह से तुरंत आग बुझाने का कार्य शुरू नहीं किया जा सका। इस वजह से आग और विकराल हो गई। बिना पानी के आए फायर ब्रिगेड की गाड़ी को देखकर ग्रामीणों ने हंगामा कर दिया।
सीएफओ राजेंद्र खाती के अनुसार हिमाचल के जुबल और उत्तरकाशी के मोरी से वॉटर टैंकर मौके पर पहुंचे। एक गाड़ी विकासनगर से भी भेजी गई, तब जाकर आग को बुझाया गया। इस अग्निकांड में ढाई वर्ष की सेजल, पांच वर्षीय मिष्टी, नौ साल की सोनम और दस साल की रिद्धी की मौत हो गई।
दमकल पर लापरवाही का आरोप
उधर, ग्रामीणों का आरोप है कि तत्काल फोन के करने के बावजूद घटनास्थल से लगभग डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी मौजूद थी, लेकिन तब भी गाड़ी को आने में बीस मिनट का समय लग गया। गाड़ी से आग बुझाने के लिए पानी डालना शुरू किया ही था कि पानी खत्म हो गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार तब तक मकान के सिर्फ एक ही कमरे में आग लगी थी। अगर फायर ब्रिगेड की गाड़ी में पानी होता तो आग को तुरंत बुझाया जा सकता था और इससे चार मासूमों की जान भी बच जाती। बताया जा रहा है कि मकान के निचले हिस्से में एक राशन का गोदाम, एक फर्नीचर की दुकान और एक सिलाई की दुकान थी। जो आग में खाक हो गयी।