सावनेर तहसील के करिब 36 ग्राम पंचायतोके सरपंच तथा ग्रामपंचायत सदस्य हेतू 18 डीसेंबर 2022 को मतदान होने है.जैसे जैसे मतदान की तीथी करिब आरही है. वैसे वैसे चुनावी तपीश भी बढने लगी है.प्रत्याशीयोके साथ साथ क्षेत्रीय नेता भी अपनी पुरी ताकत झोककर अपने प्रत्याशी को चुनकर लाने हेतू गाव गावकी खाक छान रहे है। सावनेर तहसील के केलवद, उमरी, खैरी ढालगाव, सावली मोहतकर, बिचवा, कोथुर्ना, चिचोली, इसापुर, पिपला (डा.ब) बोरुजवाडा, वेलतुर, सिल्लोरी, चांपा, कुसुंबी, भेंडाला, टाकली (भ), सिल्लेवाडा, वलनी, तिघई, बडेगाव, परसोडी, जोगा, सालई, मंगसा, नांदागोमुख, पंढरी, रामपुरी, खानगाव, कोच्छी, कोदेगाव, रोहना, मालेगाव ( टा), गोसेवाडी, सावरमेंढा, ब्रम्हपुरी, भानेगाव इन 36 ग्रामपंचायतो के लीये 36 सरपंचो के साथ ही कुल 328 ग्रामपंचायत सदस्य चुने जाने है.इस चुनावमे मुख्य मुकाबला क्षेत्रके विधायक पुर्व मंत्री सुनील केदार तथा भारतीय जनता पार्टी व स्थानिक गुटोके बीच होना तय है।
36 ग्रामपंचायत सरपंच तथा 328 सदस्यो ग्रामपंचायत सदस्योके चुनाव हेतू 41992 महिला व 44558 पुरुष मतदाता ऐसे कुल 86310 मतदाता मतदान कर अपने कस्बोकी सरकार चुनेंगे।सावनेर तहसील में होनेवाले 36 ग्रामपंचायत चुनाव में क्षेत्र के विधायक, पुर्व मंत्री तथा कद्दावर नेता सुनील केदार के साथ ही भारतीय जनता पार्टीके क्षेत्रीय नेताओकी प्रतिष्ठा दाव पर है. उक्त 36 ग्रामपंचायतो में केलवद, नांदागोमुख, सिल्लेवाडा, वलनी, भानेगाव जैसी दर्जनो बडी ग्रामपंचायतो का समावेश होणेसे प्रतिष्ठा और बढती दीखाई दे रही है. वही ग्रामस्तरीय आघाडी व भाजपा इस बार पुर्वमंत्री केदार को घेरनेकी तयारीमे है.
18 दिसंबर 2022 को संपन्न होनेवाले तहसील के 36 ग्रामपंचायतोके चुनाव हेतु कुल 86310 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे जिसके लीये कुल 123 प्रभागो के लीये 162 मतदान केन्द्र स्थापित करणे की जानकारी तहसीलदार तथा चुनाव अधिकारी प्रताप वाघमारे तथा अमोल देशपांडे ने दी। अभी यह कहना उचित नही की कौनसे पार्टीकी कीतनी सीटे चुनकर आयेंगी लेकीन दावे तो सभी कर रहे है. अधिकतर ग्रामपंचायतोमे सुनील केदार, भाजपा तथा स्थानिक आघाडी ऐसे तीकोना मुकाबला जरुर नजर आरहा है. लेकीन जैसे जैसे चुनाव करीब आते जायेंगे वैसी स्थीती और भी स्पष्ट नजर आयेंगी.ग्रामपंचायत चुनाव ग्रामीण स्तरपर काफी प्रतिष्ठाका माना जाता है. इस समय हर कोई अपनेकी मान सन्मान की आशा रखता है. ऐसे में वरिष्ठोका सभीको संतुष्ट करणा तकरिबन नामुमकीन होता है. और गुटोमे फुट पडना या पक्षश्रेष्ठींव्दारा दिये प्रत्याशीयोका अंदरुनी वीरोध होने लगता है. इस अंतर्गत कलह तथा गुटबाजीका असर चुनावो के परिणामोपर भी दिखाई पडता है. इसी आंतरिक गुटबाजीका नुकसान पुर्व मंत्री सुनील केदार के साथ साथ भाजपाको भी उठाना पड सकता है।
चुनावो के नतीजे जो भी हो पर क्षेत्रके विधायक तथा जीलेके कद्दावर नेता पुर्व मंत्री सुनील केदार,जिल्हापरिषद सभापती मुक्ताताई कोकर्डे, पुर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष तथि वरिष्ठ नेता मनोहर कुंभारे, सावनेर पंचायत समीती सभापती अरुणा शिंदे, उपसभापति राहुल तीवारी आदी सहीत भाजपा नितीन राठी, रामराव मोवाडे, देवीदास मदनकर सहीत क्षेत्रीय नेता आदीकी प्रतिष्ठा दावपर लगी है।