फुटबॉल की नर्सरी कामठी से फुटबॉल करियर की शुरुआत करने वाले देश के दिग्गज फुटबॉल कोच बिमल घोष को भारत सरकार ने बुधवार को सर्वोच्च सम्मान द्रोणाचार्य जीवन पुरस्कार प्रदान किया है। इस पर खुशी जाहिर करते हुए घोष ने कहा कि यह पुरस्कार पाकर बहुत खुश हूँ।मूलतः कामठी के निवासी बिमल इस समय मुंबई में रहते हैं। कामठी के पोरवाल कॉलेज के फुटबॉल मैदान पर अपने खेल जीवन की शुरुआत करने वाले बिमल वर्ष 1994 से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर बतौर कोच अपना अभियान शुरू किए। 28 वर्षों में उन्होंने देश को 35 से अधिक अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर तैयार किए। अनेक अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर चोटी के अलग-अलग फुटबॉल टीमों के कोच के रूप में कार्यरत है। एयर इंडिया के कोच के रूप में उनका स्वर्णिम दौर रहा। इसी दौर में उनके मार्गदर्शन में तैयार हुए चार-पांच खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम की ओर से खेलते हैं। लगातार 28 वर्षों तक वह फुटबॉल के विकास में अपनी सेवाएं देते रहे। दैनिक भास्कर’ के साथ बातचीत करते. हुए बिमल घोष ने कहा कि यह 28 वर्षों की निरंतर मेहनत का फल है। मेरी मेहनत को गंभीरता से लेने के लिए केंद्र सरकार का बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार।बिमल दादा फुटबॉल के महान खिलाड़ी पेले से मुलाकात को अपने जीवन का सबसे यादगार लम्हा मानते हैं। उल्लेखनीय है कि बिमल घोष को भारतीय टीम के पूर्व कप्तान पी. के. बैनर्जी के साथ मलेशिया के शहर कुआलालम्पुर् में आयोजित फीफा के सेमिनार में हिस्सा लेने का मौका मिला। इस दौरान उनकी मुलाकात फुटबॉल के जादूगर पेले से हुई थी।