हिंगणघाट तालुका
के किसानो को रब्बी हंगाम की बुआई के बाद भी सिंचन के लिए पाणी उपलब्ध ना होने से किसान आक्रमक हुए है। हिंगणघाट के पाटबंधारे विभाग के उपविभागीय कार्यालयल को किसानो ने बुधवार को सुबह 11 बजे ताला ठोक कर निषेध व्यक्त किया है। इस समय कर्मचारी कार्यालय में अटक गए। कर्मचारियोको आफिस में बंद करके सिंचन के लिए पाणी मागने का एक अनोखा आंदोलन हिंगणघाट में घटा है। हिंगणघाट तालुका के किसान सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो इस हेतू पाटबंधारे विभाग के कार्यालय के चक्कर काट रहे थे। उन्होंने इस बारे में कई बार ज्ञापन भी दिया था। लेकिन उसका कुछ फायदा हुआ नही। इसपर पिंपलगाव, वालधूर, कडाजना, सुलतानपूर, उमरी के किसानो ने इसमें भाग लिया। इन किसानो ने हिंगणघाट के पाटबंधारे विभाग के उपविभागीय कार्यालय पर मोर्चा लाया। लेकिन इस समय कार्यालय में कर्मचारी उपस्थित नही थे।
अक्टूबर में सींचन के लिए पानी की जरूरत होती है। लेकिन अधिकारियो की इस और नजरंदाजी दिखाई दी। परिणाम स्वरूप चना, गेहु, कपास की फसल को बिना पानी के हालत खराब हुई। इस संकट के चलते अधिकारियों ने अब तक पानी नही छोड़ा। परिणाम स्वरूप सारी फसल बिन पानी के बरबाद होने की कगार पर है। इसपर 30 ते 40 की संख्या में जमे किसानो ने कार्यालय के सीढ़ियों पर ठिय्या आंदोलन किया। जिस वजह से कर्मचारी जल्द ही कार्यालय में पहुचे। इस पर भी सिंचन का प्रश्न ना छूटने पर आखिरकार किसानो ने कार्यालय को ताला ठोका। जिससे कार्यालय के कर्मचारी कार्यालय में बंद हुए। कर्मचारियो को कार्यालय में बंदिस्त करके किसानो ने अनोखा आंदोलन किया।
जब जब भी किसान कार्यालय में आते, तब तब किसानो को एकेरी भाषा में बात की गई। अधिकारी कर्मचारियों की किसानो के साथ इस तरह बर्ताव निदनीय है। अब हम ने क्या किया जाए ऐसा सवाल अजय वानखेडे, आदर्श गुजर इन किसानो ने किया है।