रामटेक नगरी धार्मिक एवं पर्यटन स्थल है। भगवान श्रीराम के पावन चरण इस भूमि पर पड़े थे। आज इसकी स्वच्छता रूपी पवित्रता नष्ट हो रही है। इसका कारण विकास कार्यों के दौरान बरती जा रही लापरवाही है। ऐसा लगता है कि विकास कार्य शुरू करने से पहले ठीक से नियोजन नहीं किया गया।
दरअसल,घरों के शौचालयों और स्नानगृहों के गंदे पानी की निकासी क्षेत्र के बाहर करनी चाहिए थी। लेकिन इस संबंध में घोर लापरवाही दिख रही है। गंदे पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं की गई। इसके विपरीत संबंधित यंत्रणा ने रहवासी क्षेत्रों की तीनों नालियों का पानी अंबाला तालाब के उत्तरी भाग में मिला दिया। इससे तालाब का पानी दूषित हो रहा है।
संबंधित यंत्रणा की लापरवाही का खामियाजा श्रद्धालुओं को भुगतना पड़ रहा है। हर दिन सैकड़ों श्रद्धालु इस तालाब में स्नान करते हैं। यहां पूजा-अर्चना कर जल से आचमन करते हैं। वे तीर्थ जल लेकर भी जाते हैं। इन श्रद्धालुओं में बड़ी संख्या दूसरे शहरों और राज्यों के लोगों की होती है।
पंचायत समिति, रामटेक के पूर्व उपसभापति उदयसिंह उर्फ गज्जू यादव ने रामटेक तीर्थ स्थल की इस समस्या पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि इतनी घोर अव्यवस्था के बावजूद प्रशासन आंखें नहीं खोल रहा है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे इस पावन स्थली की पवित्रता कायम रखने का प्रयास करें। इस संबंध में गज्जू यादव ने एक वीडियो भी साझा किया है, जिसमें रामटेक तीर्थ स्थल में फैलती गंदगी की समस्या को उठाया गया है। गज्जू यादव ने नागपुर के जिलाधिकारी और प्रदूषण नियंत्रण मंडल के प्रादेशिक अधिकारी से निवेदन किया है कि वे स्वयं यहां आकर स्थिति का मुआयना करें। साथ ही उच्च न्यायालय से भी अनुरोध किया है कि वह भी इस वीडियो पर स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे याचिका के रूप में स्वीकार करे। गौरतलब है कि एसडीओ यात्रा स्थल समिति की सदस्य और हाईकोर्ट के आदेश से गढ़मंदिर की रिसीवर भी हैं। अंबाला तालाब की देखरेख उनके अधिकार क्षेत्र में है। इसके बावजूद अभी तक उन्होंने अंबाला तालाब में बढ़ते प्रदूषण को लेकर समुचित कार्रवाई नहीं की है।