अधिकतर मैराथन दौड़ 42.2 किमी (26 मिल के करीब) होती है। परंतु दक्षिण अफ्रीका में होने वाली कॉमरेड मैराथन विश्व की सबसे लंबी, 100 साल पुरानी मैराथन है जो 90 किमी (56 मील) दौड़ी जाती है। इस कामरेड मैराथन में देश से भाग लेने वाले प्रतियोगी बिंदेश सिंह सहित कल्याण रनर्स ग्रुप के डॉ. मिलिंद ढाले, दिलीप घाडगे ने दक्षिण अफ्रीका में जीत का डंका बजाकर महाराष्ट्र सहित पूरे भारत देश का नाम रोशन किया है। इस विश्वविख्यात कामरेड मैराथन में भाग लेने वाले गोंदिया जिले के गोंदिया शहर स्थित रामनगर क्षेत्र निवासी बिंदेश सिंह ढाकरवार का सपना था कि वो एक बार इस स्पर्धा में अवसर जरूर प्राप्त करेंगे। दक्षिण अफ्रीका में होने वाली इस मैराथन में भाग लेने के लिए प्रतियोगी को 42.2 किलोमीटर लंबी मैराथन 4 घँटे 50 मिनट में पूरी करने का प्रमाण देना आवश्यक होता है। बिंदेश सिंह ने दृढ़ता, संघर्ष व आत्मसंयमता से 65 किलोमीटर मैराथन की प्रेक्टिस लवासा, लोनावला, सिल्वासा, दुधनी और मुंबई में की तथा इस मैराथन में हिस्सा लेने का गौरव प्राप्त किया। ये कॉमरेड मैराथन डाउन रन 28 अगस्त 2022 को दक्षिण अफ्रीका के पीटरमारिट बर्ग से शुरू और डरबन सीटी में संपन्न हुई। मैराथन में विश्वभर से 15 हजार प्रतियोगियों ने भाग लिया। दुनिया कि 100 साल पुरानी और सबसे लंबी इस मैराथन में महाराष्ट्र के कल्याण रनर्स ग्रुप से गोंदिया के बिंदेश सिंह ढाकरवार, डॉ. मिलिंद ढाले एवं दिलीप घाडगे का चयन हुआ। महाराष्ट्र के इन तीन शेरों ने विश्व की सबसे लंबी 90 किलोमीटर की इस मैराथन में बिना रुके 11 घँटे 39 मिनट की दौड़ लगाकर जीत का डंका पीटा और देश का नाम रोशन किया। इस मैराथन में उनके प्रशिक्षक रहे सतीश गुजरान ने कहा, बिंदेश सिंह पहली बार दौड़े और जीत दर्ज की। बिंदेश सिंह ढाकरवार अभी 39 साल के रेलवे सूचना प्रणाली में प्रोजेक्ट इंजीनियर का कार्यभार संभाल रहे है। मेरॉथन में जीत ये उनके हौसलों की उड़ान रही।