नगर परिषद कन्हान में किसी भी अतिक्रमण की कार्यवाही पर नगर सेवक सहित नगरसेविका के द्वारा अब किसी भी प्रकार का हस्ताक्षेप या लिखित शिकायत नहीं की जा सकेंगी, यदीं नगरसेवक या नगरसेविका के द्वारा ऐसा किया गया तो नगरसेवक या नगरसेविका की नगरपरिषद सदस्यता रद्द कर दी जाएगी, यह ठराव नगर परिषद कन्हान के द्वारा पास किया गया हैं.
कन्हान नगर परिषद के द्वारा 20 जुलाई 2022 को नगर परिषद कार्यालय में दोपहर 1 बजे सर्वसाधारण सभा का आयोजन किया गया. इस सभा में सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के नगरसेवक एवं नगरसेवकों सहित सीओं राजेंद चिकलखुदें एवं विभाग प्रमुखों की उपस्थिती में आयोजित सर्वसाधारण सभा में विषय क्रमांक 29 रखा गया, जिसमें सीओं सहित नगर परिषद को यह निर्णय लेना था, कि कन्हान नगर परिषद क्षेत्र में कहीं भी अवैध अतिक्रमण हटाने को लेकर नगरपरिषद पदाधिकारियों के द्वारा हस्ताक्षेप होना चाहिए, या नहीं. इस पर मात्र मनीष भिवगडे एवं नगर परिषद उपाध्यक्ष योगेश उर्फ बाबु रंगारी, प्रहार के विनय यादव सहित विपक्ष के नगरसेवकों एवं नगरसेविकाओं को छोडकर सत्ता पक्ष के किसी भी नगरसेवक के द्वारा इस विषय का विरोध नहीं किया गया. इस विषय के पास होने के बाद महाराष्ट्र नगरपंचायत व औद्योगिक अधिनियम 1965 की कलम 44 ई के अनुसार कन्हान नगर परिषद के नगरसेवक या नगरसेविका के द्वारा अब किसी भी उस अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हस्ताक्षेंप नहीं किया जा सकेंगा, जिसमें नगर परिषद के द्वारा अतिक्रमण तोडने की कार्यवाही की जाएगी. इस विषय के पास होने के बाद अब नगरसेवकों के द्वारा अब लिखित शिकायत भी नहीं की जा सकेंगी. जबकि दूसरे छोर पर कन्हान नप के द्वारा 5 जुलाई को जिन 3 नागरिकों की सुरक्षा दिवार मात्र चश्मा नोटिस के आधार पर तोडी गई, तथा नगरसेवक मनीष भिवगडे की शिकायत पर कन्हान नप अध्यक्ष करूणा आस्टनकर की भाभी की किराणा दुकान जो की अतिक्रमण के दायरे में हैं, उसकों लेकर पहले 15 दिन एवं बाद में 7 दिन के भीतर अतिक्रमण तोडने का नोटिस जारी करना यह रिश्ता क्या कहलाता हैं. एक तरफ मात्र नोटिस देने के साथ अतिक्रमण तोडना, तथा दूसरे छोर पर नियमों का हवाला देकर कार्यवाही को आगे ढकेलने का प्रयास करना, समझ के परे हैं. आने वाले समय में यह अतिकमण का जिन्न सत्ता एवं विपक्ष के गले की हड्डी बनेंगा, जिसमें पक्ष विपक्ष के टकराव में सीओं की बली तय हैं. जबकि कन्हान नप के अंर्तगत लगभग 35 प्रश क्षेत्र अतिक्रमण के साए में हैं, उसकों लेकर नप अध्यक्ष एवं सीओं का नजरियां मौन क्यों हैं.