प्रत्येक तालुका स्तर पर पशु चिकित्सा अस्पताल की स्थापना करें और उससे जानवर को 24 घंटे सेवा मिले ऐसी मांग ज्ञापन में की गई है। जिले के वर्धा छत्रपति शिवाजी महाराज चौक पर केवल एक पशु चिकित्सालय है। अब सवाल यह उठता है कि अगर रविवार और रात के समय सड़क पर किसी पालतू जानवर की तबीयत बिगड़ जाए या कोई दुर्घटना हो जाए तो वो कहा जाये और अगर इलाज के अभाव में इस जानवर की मौत हो जाती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा ? राज्य सरकार और केंद्र सरकार में पशु मंत्रालय है और जानवरों के लिए कानून और इलाज की सुविधा है और जानवरों के लिए इंसानों की तुलना में उच्च दर्जा है। कई नागरिक घरेलू गायों, बैलों, कुत्तों और अन्य जानवरों, पक्षियों की घर में या सड़कों पर देखभाल करते हैं। लेकिन कई जानवर बिना इलाज के नहीं रह सकते हैं, तो यह पशु मंत्रालय और इससे खर्च होने वाला फंड कहां जाता है ? संबंधित पशु चिकित्सालय में उचित सुविधाओं और दवाओं की कमी के कारण, हम संबंधित वर्धा पशु चिकित्सा अस्पताल को तत्काल नोटिस देने और वर्धा जिले के तालुका जैसे चिकित्सा और पशु चिकित्सा अस्पताल को पूरी सुविधाओं के साथ 24 घंटे 365 दिन शुरू करने की मांग की हैं। इस मूक जानवर के जीवन की रक्षा करना एक सक्षम और सभ्य समाज और सरकारी प्रशासन की जिम्मेदारी है। कई पशु मित्र मूक पशुओं के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश करते हैं लेकिन प्रशासन और सरकार की मदद महत्वपूर्ण है। वर्धा जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी से अनुरोध है कि तात्काळ कारवाई करें। अन्यथा किसान और पशुपालक वर्धा जिलाधिकारी कार्यालय में अपने पशु को लेकरं संघटना पदाधिकारी के साथ आंदोलन करेंगे।
वर्धा जिले में वर्धा के शिवाजी महाराज चौक पर केवल एक पशु औषधालय है और यह सुचारू रूप से नहीं चल रहा है इसलिए पशुओं को वर्धा के एक निजी पशु औषधालय में ले जाया जाता है ताकि जानवर बीमार न हों। लेकिन एक तस्वीर है कि उस अस्पताल में खूब लूटपाट की जाती है और नागरिकों से मनमाना पैसा लिया जाता है. वर्धा में एक सरकारी पशु औषधालय है जो ठीक से काम नहीं कर रहा है और एक निजी औषधालय में बहुत भीड़ इसम कोई सांठगांठ तो नाही है, ऐसा सवाल उपस्तित किया जा रहा है। ज्ञापन उपतहसीलदार दिगलवार सर को सौंपा गया। ज्ञापन देते समय एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष निहाल पांडे, जिला अध्यक्ष प्रितेश इंगले, सोनू दाते , अक्षय बाळसराफ वृषभ मेंधुले , हेमंत भोसले, दिनेश देवतले, सचिन व्यापारी, अशु वाकडे, कल्पक मिसाळ, समीर बेलखोडे अभिषेक मानकर , स्वप्नील दोड , पूर्वेश मानकर व अन्य मौजूद थे।