नागपुर। विदर्भ, मराठवाड़ा और शेष महाराष्ट्र के विकास बोर्डों का पुनर्गठन किया जाएगा। गुरुवार शाम को महाराष्ट्र कैबिनेट की बैठक के दौरान यह अहम फैसला लिया गया। संबंधित दिशा निर्देश नागपुर विभाग के संबंधित अधिकारियों को भी दिए गए हैं। हालांकि महा विकास आघाड़ी (एमवीए) की इस कैबिनेट बैठक में 11 अहम फैसले लिए गए, जो नागपुर संभाग समेत विदर्भ के लिए महत्त्वपूर्ण है। विकास बोर्डों का पुनर्गठन एक अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय है और इस निर्णय में लगभग एक वर्ष का विलंब हुआ है। महाराष्ट्र के पूर्व महाधिवक्ता श्रीहरि अणे ने पत्रकारों को बताया कि सरकार की ओर से की गई देरी के कारण विदर्भ क्षेत्र का बहुत नुकसान हुआ है। विदर्भ पहले ही कई समस्याओं से जूझ रहा है और पश्चिम महाराष्ट्र की तुलना में काफी पिछड़ा है। इस अवधि के दौरान समस्याओं को सुलझाने के लिए धन उपलब्ध नहीं कराया गया था। पृथक विदर्भ के कट्टर समर्थक अधिवक्ता अणे ने इस निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने यह भी कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के पास एक याचिका लंबित है। गुरुवार को ही सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने इस मुद्दे पर फैसला लेने के लिए और समय मांगा। गुरुवार शाम को, हालांकि, एमवीए सरकार ने विकास बोर्डों के पुनर्गठन का निर्णय लिया। महाराष्ट्र के पिछड़े क्षेत्रों के विकास के बैकलॉग को दूर करने के लिए बोर्ड बनाए गए थे। विदर्भ को लगातार उपेक्षा का सामना करना पड़ा और एक अलग विदर्भ राज्य बनाने की मांग उठाई गई।