ललित निबंधकार कुबेरनाथ राय की पुण्यतिथि पर (5 जून) महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा और मुंबई विश्वविद्यालय, मुंबई के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित विशेष व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता उद्बोधन देते हुए मध्यप्रदेश शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य, सुविख्यात ललित निबंधकार प्रो. श्रीराम परिहार ने कहा कि कुबेरनाथ राय के ललित निबंधों के केंद्र में मनुष्य है.
आभासी माध्यम से आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने की.
प्रो. परिहार ने कुबेरनाथ राय के ललित निबंधों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि उनकी रचनाओं में अखंडित सत्य की तरलता प्रदर्शित होती है. उनकी रचनाएँ समय, मनुष्य और नैतिकता से संदर्भित प्रश्नों से जुझती है और उनके उत्तरों की तलाश भी करती है. उनकी कृतियों में संस्कृति, सभ्यता और पूर्णतः स्वाधीन मनुष्य का चित्र परिलक्षित होता है. उन्होंने कहा कि कुबेरनाथ राय ललित निबंध की तीर्थ संस्कृति के रचनाकार हैं. अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि ललित निबंधों के माध्यम से हिंदी भाषा शिखर पर कैसे पहुंची इसे कुबेरनाथ राय की रचनाओं में देखना चाहिए. भारत की सांस्कृतिक भूमिका को सामने लाने में उनके ललित निबंधों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. साहित्य के क्षेत्र में कुबेरनाथ राय एक अप्रतीम रचनाकार दिखाई देते हैं. उन्होंने कहा कि निरंतर नवीनता और रमणीयता की उत्पत्ति उनके ललित निबंधों में मिलती है.
कार्यक्रम का संचालन हिंदी विश्वविद्यालय के गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग के अध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार राय ने किया तथा मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के आचार्य हूबनाथ पाण्डेय ने धन्यवाद ज्ञापित किया.
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में दोनों विश्वविद्यालयों के अध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी जुड़े थे.