मुंबई. राज्य के गृह मंत्रालय ने फैसला किया है कि लॉकडाउन नियमों के उल्लंघन को लेकर जो भी केस दर्ज किए गए थे वे वापस लिए जाएंगे. गृह मंत्री दिलीप पाटिल ने कहा कि जिन लोगों पर आईपीसी की धारा 188 के तहत केस दर्ज किया गया था, उन पर से केस वापस ले लिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव पारित होने के बाद इसपर कार्यवाही शुरू हो जाएगी. पाटिल ने कहा, ‘स्टूडेंट्स और अन्य लोगों पर बड़ी संख्या में लॉकडाउन का उल्लंघन करने के मामले में केस दर्ज हुए थे. अब लोगों को इससे मुक्त करने का फैसला किया गया है.’ बता दें कि 24 मार्च 2020 को देशव्यापी पूर्ण लॉकडाउन लगाया गया था. 11 मार्च 2020 को ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना को महामारी घोषित कर दिया था. पहले पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया लेकिन बाद में यह फैसला राज्य सरकारों पर छोड़ दिया गया. महाराष्ट्र उन दिनों कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित था. ऐसे में यहां लंबे समय तक प्रतिबंध लागू रहे. जहां लोगों ने लॉकडाउन का उल्लंघन किया, उनपर कड़ी कार्रवाई की गई. कर्फ्यू के समय में घर से बाहर निकलने वालों और सार्वजनिक स्थानों पर मास्क न पहनने वालों पर भी केस दर्ज किए गए.
महामारी से राहत मिलने पर लिया गया फैसला
कोरोना के वेरिएंट ओमिक्रोन की वजह से आई तीसरी लहर के बाद भारत को महामारी से राहत मिली है. देश के ज्यादातर हिस्सों में कोरोना से संबंधित नियमों में ढील दे दी गई है. हालांकि कहा गया है कि सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अब भी जरूरी है. देशभर में स्थिति सुधरने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने भी यह बड़ा फैसला लिया है.