नई दिल्ली. भारत की राजधानी दिल्ली इस साल भी दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बन गई है. दिल्ली में 2021 में पीएम 2.5 सांद्रता में 14.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. साल 2020 में सांद्रता 84 Ig/m3 थी. जबकि अब यह बढ़कर 96.4 Ig/m3 हो गई है. भारत के 48 प्रतिशत शहरों में वार्षिक पीएम2.5 सांद्रता औसत 50 Ig/m3 या विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों के 10 गुना से ज्यादा है. भारत में फसलों को जलाना आम बात है. खासकर सर्दियों के महीनों में दिल्ली के पास चावल के खेतों में फसलों को जलाना काफी कॉमन है. शहर में 45 प्रतिशत तक प्रदूषण के लिए धुआं जिम्मेदार होता है, जो सबसे ज्यादा इन फसलों के जलाने से उत्पन्न होता है. चौंकाने वाले ये फैक्ट्स मंगलवार को 2021 की विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट में सामने आए हैं. इस रिपोर्ट में 117 देशों के 6475 शहरों में स्थित वायु निगरानी स्टेशनों से पीएम 2.5 वायु प्रदूषण माप का विश्लेषण किया गया है. सूक्ष्म कण प्रदूषण, जिसे पीएम 2.5 के रूप में जाना जाता है. इसको आमतौर पर सबसे हानिकारक और सबसे ज्यादा निगरानी वाले वायु प्रदूषक के रूप में माना जाता है. पीएम2.5 अस्थमा, स्ट्रोक, हृदय और फेफड़ों के रोगों को और गंभीर बना सकती है. पीएम 2.5 से हर साल लाखों लोगों की अकाल मृत्यु होती है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कोई भी देश 2021 में पीएम 2.5 के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों को पूरा नहीं कर सका है. केवल न्यू कैलेडोनिया, यूएस वर्जिन आइलैंड्स और प्यूर्टो रिको क्षेत्रों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन पीएम 2.5 वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों को पूरा किया. रिपोर्ट में शामिल 6475 वैश्विक शहरों में से केवल 222 ने ही डब्ल्यूएचओ पीएम 2.5 दिशानिर्देशों को पूरा किया है.
दूसरे नंबर पर बांग्लादेश की राजधानी ढाका
रिपोर्ट में कम से कम 93 शहरों में वार्षिक पीएम2.5 सांद्रता, डब्ल्यूएचओ पीएम2.5 दिशानिर्देशों के 10 गुना से अधिक थी. भारत की राजधानी नई दिल्ली को लगातार दूसरे साल दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी शहर का स्थान दिया गया है. इसके बाद बांग्लादेश की राजधानी ढाका का नंबर आता है. वहीं, तीसरे नंबर पर चाड की राजधानी एन’जामेना है. चौथे नंबर पर ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे (ताजिकिस्तान) और फिर पांचवें स्थान पर ओमान की राजधानी मस्कट है.