नागपुर।(नामेस)। शिक्षकों की गुणवत्ता जांच पर चर्चा कर रही जिला परिषद प्रबंधन व प्रशासन गरीब छात्रों के योजनाओं से वंचित होने से खुश नहीं है. हालांकि शैक्षणिक सत्र अपने अंतिम चरण में है, आज भी कई जिला परिषद स्कूलों में अधिकांश छात्रों के पास नियमित पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध नहीं हैं. यह भी बात सामने आई है कि कई लाभार्थी छात्रों को समग्र शिक्षा अभियान के तहत उपलब्ध मुफ्त यूनिफार्म योजना के तहत यूनिफार्म भी नहीं मिली है. बताया गया कि उपकर कोष से प्रावधान किया गया है. हालांकि इस योजना से मौजूदा शैक्षणिक सत्र में किसी भी छात्र को यूनिफॉर्म नहीं मिली है. अन्य पिछड़ा वर्ग एवं मुक्त वर्ग के विद्यार्थियों को गणवेश उपलब्ध कराने के संबंध में जिला पंचायत कि उपकर कोष से निधि उपलब्ध कराई गई है. हालांकि इस योजना से मौजूदा शैक्षणिक सत्र में किसी भी छात्र को यूनिफॉर्म नहीं मिली है. शिक्षकों की गुणवत्ता और दक्षता पर चर्चा ज़रूर हो रही है. लेकिन छात्रों के हित में अमल में लाई जा रही योजनाओं के कार्यान्वयन अधिकारी गलत नीतियां अपना रहे हैं और उनकी लापरवाही साफ सामने आ रही है,
प्रतिनिधिमंडल ने सौंपा सीईओ को ज्ञापन:
कई छात्रों के पास अभी भी पाठ्य पुस्तकें नहीं पहुंचीं है. कई छात्र मुफ्त गणवेश वितरण योजना से मिलने वाले लाभ से भी वंचित हैं. इतना ही नहीं, ओबीसी और ओपन समुदाय के छात्रों के पास अभी भी वर्दी नहीं पहुंची है. इन योजनाओं की सुविधा से वंचित गरीब विद्यार्थियों को जल्द लाभ पहुंचाएं, यह मांग महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षक समिति के जिलाध्यक्ष लीलाधर ठाकरे, महासचिव अनिल नासरे के साथ साथ विलास कालमेघ, राजू बोकडे, सुरेश श्रीखंडे तथा अन्य सदस्यों ने एक लिखित ज्ञापन सौंपकर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी से की है.
निजी स्कूलों को हो रहा फायदा!
पालकों को संदेह है कि कुछ अधिकारी जानबूझकर समाचार प्रकाशित करके समाज में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के बारे में नकारात्मक भावनाओं को फैला रहे हैं. दरअसल इससे निजी स्कूलों के लाभान्वित होने की संभावना है. क्योंकि सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की गुणवत्ता और क्षमता के बारे में संदेह पैदा करके निजी स्कूलों का ही फायदा हो सकता है.