नागपुर।(नामेस)। केंद्र सरकार व जीएसटी परिषद ने टेक्सटाइल उद्योग में टैक्स रिफंड की समस्या दूर करने के नाम पर टैक्स बढ़ाने के लिए 1 जनवरी 2022 से जीएसटी दर 5 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने का तुगलकी निर्णय लिया है. महाराष्ट्र प्रदेश व्यापारी व उद्योग सेल ने इस पर कड़ा विरोध जाहिर किया. कांग्रेस प्रदेश व्यापारी उद्योग सेल के मुखिया अतुल कोटेचा ने बताया कि इससे देश में कपड़ा महंगा होगा. कपड़ा व्यापारियों द्वारा टैक्स की चोरी करने की संभावना भी बढ़ जाएगी. इससे सरकार के मंसूबे पर पानी फिर सकता है. सरकार का यह अर्थहीन कदम है. इससे आम जनता पर महंगाई की मार पड़ेगी. सरकार को इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिये और कपड़े पर लगे 12 प्रतिशत जीएसटी को हटाकर 5 प्रतिशत ही रहने देना चाहिए. जिससे टैक्स रिफंड की समस्या दूर होगी और कपड़े पर महंगाई की मार नहीं पड़ेगी. अतुल कोटेचा ने कहा कि सरकार ने 5 से कपड़े पर 12 प्रतिशत टैक्स का निर्णय अमल में लाने की तैयारी की है, यह अन्यायकारक है, पहले ही व्यापारी टैक्स के बोझ तले दबे है, अब सरकार की दबंगई से कपड़ा व्यापार उभरने की बजाय समाप्त होने के कगार पर आएगा. सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिये. सरकार जीएसटी बढ़ाकर गरीब जनता को अब प्रत्यक्ष रूप से परेशानी में डाल रही है. जीएसटी बढ़ने से सामान्य जनता के लिये कपड़ों की खरीदारी करना मुश्किल होगा, सरकार बेफिजूल कपड़ों पर जीएसटी बढ़ा रही है. इससे चोरी की संभावना बढ़ जाएगी. साथ ही ग्राहकी घट जाएगी.
टैक्स चोरी में होगी बढ़ोतरी
युवा व्यवसाई रिंकु जैन और पंकज मुनियार ने क़हा कीं कपड़े पर 12 प्रतिशत जीएसटी व्यापारियों को मंजूर नहीं है. अगर सरकार जीएसटी बढ़ाना ही चाहती है तो वह 12 से 5 के बीच होनी चाहिये. अगर सरकार इस फैसले पर पुनर्विचार नहीं करती तो आने वाले समय में टैक्स चोरी बढ़ने की संभावना है. वैसे भी कॉटन के कपड़ों पर टैक्स की बढ़ोतरी से ऐसे कपड़ों के दाम 20 प्रतिशत तक बढ़े हैं. इन कपड़ों पर और 12 प्रतिशत तक जीएसटी लगने पर कॉटन और सूती कपड़े खरीदने में ग्राहक हिचकिचाहट महसूस करेंगे.