मालेगांव. 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस से जुड़ा एक और गवाह मंगलवार को सुनवाई के दौरान मुकर गया. उसने कोर्ट को बताया कि एटीएस ने उसे योगी आदित्यनाथ का नाम लेने के लिए मजबूर किया था. अपने बयान से मुकरने वाला ये 15वां गवाह है. दरअसल, मंगलवार को सुनवाई के दौरान गवाह ने स्पेशल एनआईए कोर्ट को बताया कि मामले की तत्कालीन जांच एजेंसी एटीएस ने उसे प्रताड़ित किया था. इतना ही नहीं एटीएस ने उसे योगी आदित्यनाथ और आरएसएस के 4 अन्य लोगों का नाम लेने के लिए मजबूर किया था. इस मामले में अब तक 220 लोगों की गवाही हो चुकी है. इस मामले की जांच एनआईए को सौंपे जाने से पहले एटीएस कर रहा था. इससे पहले अगस्त में लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित के खिलाफ बयान देने वाला गवाह भी सुनवाई के दौरान अपने बयान से मुकर गया था. एटीएस जब इस मामले की जांच कर रहा था तब गवाह ने उसे बताया था कि 2008 में उसने एक ‘साहसिक कार्य शिविर’ में हिस्सा लिया था जहां भारत में आतंकवाद के प्रसार तथा माद्रक द्रव्यों और जाली मुद्रा के जरिये देश को कमजोर करने में पाकिस्तान की भूमिका पर चर्चा हुई थी. उस समय अपने बयान में गवाह ने कहा था कि मामले के सात आरोपियों में से एक लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने इस आयोजन में एक व्याख्यान दिया था. गवाह ने कहा कि यद्यपि इसे ‘साहसिक कार्य शिविर’ कहा गया था लेकिन वहां ऐसा कुछ सिखाया नहीं गया था.
बम विस्फोट में हुई थी 6 की मौत
बाद में अदालत के सामने अपनी गवाही दर्ज कराते हुए गवाह ने ऐसा कोई बयान दिए जाने से इनकार किया जिसके बाद विशेष न्यायाधीश पी आर शित्रे ने उसे पक्षद्रोही घोषित किया. मालेगांव ब्लास्ट केस में मुंबई से करीब 200 किलोमीटर दूर मालेगांव कस्बे में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के निकट मोटरसाइकिल में रखे एक बम में विस्फोट हुआ था जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी जबकि 100 से ज्यादा घायल हुए थे.