मुंबई. आखिर महाराष्ट्र सरकार पीछे हट गई. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी सरकार ने विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव ना करवाने का फैसला किया है. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के विरोध के बावजूद सरकार चुनाव करवाने पर अड़ी हुई नजर आ रही थी. लेकिन पहले उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने राज्यपाल की सहमति के बिना अध्यक्ष का चुनाव करवाने पर अपना विरोध दर्शाया, फिर एनसीपी के सर्वेसर्वा शरद पवार ने सीएम ठाकरे से फोन पर बात कर चुनाव ना करवाने की सलाह दे डाली. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मंगलवार सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री को एक बंद लिफाफे में एक बार फिर अपना जवाब भेजा. इसके बाद गतिविधियां तेजी से बदलीं. सत्ताधारी नेताओं ने इस पर मुख्यमंत्री से संपर्क कर चर्चा की. सूत्रों के मुताबिक इसके बाद अजित पवार राज्यपाल के मत के विरोध में जाकर चुनाव करवाने को तैयार नहीं हो रहे थे. उनकी राय थी कि इससे संवैधानिक संकट खड़ा हो जाएगा. राज्यपाल की ओर से तीव्र प्रतिक्रियाएं सामने आएंगी. यह राज्य सरकार द्वारा अनावश्यक रूप से एक नए संकट को निमंत्रण देने जैसा होगा.
पवार ने सीएम को दी सलाह
इसके बाद एनसीपी चीफ शरद पवार ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को फोन किया. उन्होंने बताया कि वे इस बारे में कानूनी विमर्श कर चुके हैं और इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि चुनाव नहीं करवाया जाए. सूत्रों से प्राप्त जानकारियों के मुताबिक पवार की इस सलाह के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव ना करवाने का फैसला ले लिया.