नागपुर: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उम्मीद जताई कि नवीनतम तकनीक की मदद से ज्यादा दूध देने वाली गायों का निर्माण होना चाहिए और विदर्भ में दुग्ध क्रांति होनी चाहिए। उन्होंने मदर डेयरी की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताते हुए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बारे में विचार किया जाएगा, ऐसे कहा। एग्रोविजन के तहत विदर्भ में डेयरी व्यवसाय के अवसरों पर आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में वे बोल रहे थे। शनिवार को कविवर्य सुरेश भट सभागृह में आयोजित इस कार्यशाला में पशुपालन एवं डेयरी विकास मंत्री सुनील केदार, पूर्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, महाराष्ट्र पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आशीष पातुरकर, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के अध्यक्ष मिनेश शाह, मदर डेयरी के समन्वयक रवींद्र ठाकरे, मनीष बंदिश, शोधकर्ता डॉ. शाम झवर, जिला परिषद सभापति रश्मि बरवे, सभापति तापेश्वर वैद्य, एग्रोविजन आयोजन समिति के सचिव रवि बोरटकर, सलाहकार समिति के अध्यक्ष डॉ.सी.डी. मायी मुख्य रूप से उपस्थित थे। गडकरी ने कहा कि मदर डेयरी विदर्भ में उम्मीद के मुताबिक काम नहीं कर पा रही है, भले ही वह पिछले 3-4 साल से यहां अपना कार्य कर रही हो। प्रतिदिन 3 लाख लीटर दूध एकत्रित करने की उम्मीद मदर डेअरी से कि जा रही थी लेकिन वह अब तक पूरी नहीं हुई है। केंद्र से काफी मदद के बावजूद यह आगे नहीं बढ़ सकी है। यहां तक कि राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई धनराशि भी उनके द्वारा खर्च नहीं हो सकी है। कलेक्शन सेंटर, कूलिंग सेंटर का निर्माण कार्य भी अब तक अधुरा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अधिकारी इस पर गंभीरता से ध्यान दें अन्यथा वे अगले दो महीने में संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पूरी ताकत लगा देंगे। विदर्भ खुद टेस्ट ट्यूब की मदद से कम दूध वाली गायों से 20 से 25 लीटर दूध वाली गायों का उत्पादन करने में सफल रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि हर गांव में ऐसी गायों को तयार किया जाए और विदर्भ में दुग्ध उत्पादन बढ़ाया जाए। सुनील केदार ने दूध के प्रसंस्करण और दुग्ध उत्पादों का मार्केटिंग करने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। दुग्ध उत्पादन गांवों या शहरों तक सीमित नहीं है बल्कि आज वैश्विक विषय बन गया है। इस कारोबार में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार की क्षमता है। हमें दुग्ध उत्पादों के उत्पादन पर ध्यान देना होगा जिससे अधिक से अधिक उपयोग बढ़ेगा। मांग बढ़ने पर ही किसानों को दूध के ऊंचे दाम मिल सकेंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि यदि किसानों को दूध की आर्थिकी और समृद्धि के प्रति जागरूक करना होगा तो किसान स्वयं इस व्यवसाय को संभालेंगे। मिनेश शाह ने विदर्भ, मराठवाड़ा में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए चल रहे प्रयासों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि वह जल्द ही इसी क्षेत्र से प्रतिदिन 5 लाख लीटर दूध एकत्रित करेंगे और इसके लिए उपाय किए जा रहे हैं।
आधुनिक तकनीक का उपयोग
शोधकर्ता डाॅ.शाम झंवर ने कहा कि नवीनतम तकनीक की मदद से गुणवत्ता वाली गायों से 300 बछड़ों को तैयार किया जा सकता है। इसके लिए कम दूध देने वाली गायों के गर्भ का इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह दूध देने वाली गायें उपलब्ध होंगी। माफसू के संस्थापक, डाॅ.अतुल ढोक ने कहा कि कम दुध का उत्पादन देनेवाले विदर्भ में दुग्ध उत्पादन के लिए बहुत बड़ा अवसर है। क्लस्टर बनाने और बाजार में किसानों को गुणवत्तापूर्ण खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने से निश्चित रूप से उनकी आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी।