नागपुर।(नामेस)। सुप्रीम कोर्ट द्वारा ओबीसी समुदाय के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण को खारिज करने के फैसले के बाद स्थानीय स्व-सरकारी निकायों के चुनावों पर अनिश्चितता का माहौल बरकरार है. उच्चतम न्यायालय के फैसले के तुरंत बाद विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ.भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने महाविकास आघाडी सरकार पर इस पर विचार करने के लिए गठित आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत न करने का आरोप लगाया है. वहीं दूसरी ओर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने ओबीसी समुदाय से संबंधित अनुभवजन्य डेटा प्रदान न करने के लिए केंद्र सरकार को दोषी ठहराया. इस बीच राज्य चुनाव आयोग ने सभी स्थानीय निकाय चुनावों को स्थगित कर दिया है. नागपुर, भंडारा, गोंदिया, चंद्रपुर, गढ़चिरोली, वाशिम, यवतमाल, बुलढाणा, अमरावती, हिंगोली, नांदेड़ और अन्य जिलों के जिलाधिकारियों को चुनाव संबंधित अधिसूचना भेजी गई है. अप्रैल 2020 और मई 2021 के बीच कार्यकाल समाप्त होने वाले 82 महानगरपालिका, जिला परिषद, दिसंबर 2021 में कार्यकाल समाप्त होने वाले 98 नगर निकायों और छह नवगठित निकायों को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सामना करना पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सभी निकायों के चुनाव स्थगित कर दिए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने संविधान में दिए गए प्रावधानों के तहत कुल आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा को पार न करने के निर्देश दिए.
आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी
महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस और भाजपा नेता आशीष शेलार ने आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत न करने के लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया है. राकांपा नेता छगन भुजबल ने कहा कि केंद्र को अनुभवजन्य डेटा बनाना चाहिए था, जो अदालत में मुकदमा लड़ने के लिए आवश्यक मानदंडों में से एक है.