नागपुर। (नामेस)। शहर विकास के लिए बाधित होने वाले सीताबर्डी परिसर स्थित के पुराने पीपल को काटने को लेकर लोगों से राय मांगी जा रही है. बताया जा रहा है यह पीपल का वृक्षा करीब 208 वर्ष पुराना है. पीपल के इस पुराने वृक्ष काटने का शहर के ‘ह्यूमन राइट्स सोशल लीगल फोरम’ के सदस्यों ने पुरजोर विरोध किया है. संस्था के सदस्यों ने इस वृक्ष को बचाने की अपील मनपा के साथ ही शहर के नागरिकों से की है. शहर में ऐसे कई पुराने वृक्ष हैं. इसमे यह पीपल का वृक्ष भी है. जो काफी पुराना है. अब यह वृक्ष यातायात एवं शहर विकास के लिए बाधित हो रहा है. इसे काटे या न काटे इसके लिए अखबार में विज्ञापन देकर लोगों से राय मांगी जा रही है. आज भी यह वृक्ष लोगों को स्वच्छ हवा याने ऑक्सीजन दे रहा है. फिर इसे काटा क्यों जा रहा है, यह सवाल संस्था की ओर से किया जा रहा है. अन्य पेड़-पौधों की तरह पीपल का वृक्ष भी हमारे लिए फायदेमंद है. पर्यावरण को संतुलित रखने में पीपल का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है. इसके अनेक फायदे हैं. पीपल का पेड़ ऑक्सीजन सप्लाई का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है. इससे और कई धार्मिक भावनाएं भी जुड़ी हुई है. फिर भी मनपा इसे काटने पर तुली हुई है. शहर का सौंदर्यीकरण को बढावा देने वाले इस पीपल के वृक्ष को बचाने की अपील ‘ह्यूमन राइट्स सोशल लीगल फोरम’ के सदस्यों ने की है. इसका जीवन बचाने के लिए संस्था के सदस्य इरफान खान, कमल नामपल्लीवार, मेघा बेस, ममता अंजीकर, रीता गायकवाड, सुरेंद्र सिंह नेगी, सुलभा बहादुरे, अब्दुल शेख, वैशाली मोनडेकर, विजयलक्ष्मी हजारे, ज्योति गोलाईत, नमीषा पाटिल, सुजाता गर्गे सड़क पर उतरकर आंदोलन करने के लिए मजबूर है.