नागपुर। (नामेस)।
स्कूल खुलने के साथ ही आसपास के इलाकों में भी रौनक छा गई है और स्टेशनरी एवं किताब की दुकानों में कारोबार फिर से प्रारंभ हो गया है. इन दूकानों में चहल-पहल बढ़ने लगी हैं. दूकानों पर विद्यार्थियों की आवाजाही से कारोबारी उत्साहित हैं. सरकार जैसे-जैसे छूट देती जा रही है, वैसे-वैसे विविध क्लासों में विद्यार्थियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है.पिछले 10 माह बाद स्टेशनरी में वापस लौटी रौनक से कारोबारियों में उत्साह नजर आ रहा है. कोरोना के कारण पूरा कारोबार ठप पड़ गया था. आॅनलाइन क्लासेस होने के कारण मात्र 15 से 20 प्रश ही कॉपी-किताबों की डिमांड रही. दूकानें बंद होने से करीब 75 से 80 प्रश कारोबार में गिरावट आई. वहीं कुछ छोटे दूकानदारों पर कर्ज भी चढ़ गया था, जिसके चलते हालत बहुत ही बिगड़ गये थे. अभी स्कूलों के खुलने से कारोबारियों में थोड़ी आशा की किरण जागी है.
विदर्भ की सबसे बड़ी मंडी
किताबों के एक प्रसिद्ध व्यापारी बताते हैं कि स्टेशनरी कारोबार में नागपुर विदर्भ की सबसे बड़ी मंडी है. यहीं से माल पूरे विदर्भ भर में जाता है. कोरोना के कारण पूरा कारोबार ही ठप पड़ गया था. अब स्कूल खुलने के चलते विद्यार्थी और पालक दूकानों में पहुंच रहे हैं. इसी तरह कोरोना पूरी तरह से चला जायेगा तो छोटे बच्चों की स्कूल भी खुल जायेंगी, जिससे और अधिक चहल-पहल बढ़ जायेगी.
करोड़ों का कारोबार
आॅरेंज सिटी में हर वर्ष स्टेशनरी में करोड़ों का कारोबार होता है. एक दूकानदार लगभग 10 से 15 लाख का सालाना कारोबार करता है, लेकिन कोरोना के कारण यह कारोबार मात्र 2 से ढाई लाख पर ही सिमटकर रह गया था, जिससे दूकानदारों की बहुत अधिक हाल खराब हुई. स्टेशनरी को बेचने की तैयारी कारोबारियों द्वारा जनवरी माह में शुरू कर दी जाती है. दो किस्तों में स्टेशनरी कारोबार का सीजन आता है. पहली बिक्री अप्रैल माह में होती है. दूसरी बिक्री जून माह में होती है, लेकिन इन महीनों में आॅनलाइन स्कूल शुरू होने से बिक्री जोर नहीं पकड़ पाई थी. स्टेशनरी कारोबारियों को उम्मीद है कि अब उनका कारोबार पटरी पर लौट आयेगा. छोटे बच्चों की कॉपी-किताबों की बहुत अधिक मांग रहती है, लेकिन अभी उनके स्कूल खुले नहीं हैं. अगले सत्र से हो सकता है कि उनकी स्कूल भी खुल जायेंगी, जिससे स्टेशनरी स्टेशनरी मार्केट पहले की तरह ही रफ्तार पकड़ सकेगा.