गोंदिया।
गोरठा निवासी 11 वर्षीय चांदनी पाथोड़े 15 अक्टूबर को सुबह 10 बजे भेस चराने के दौरान पुजारीटोला के मुख्य नगर नहर में बह गई थी। नहर का विस्तार क्षेत्र भले ही छोटा था पर इस बालिका का शव खोज कर बाहर निकालने में प्रशासन दल को बहुत मशक्कत करनी पड़ी। घटना के बाद 4 दिन बालिका के शव को ढूंढ निकाला गया पर इस जानलेवा इस स्थान पर बचाव दल को भी विवश होना पड़ा। बताया जाता है कि नहर के ‘साइफन “पर शव की खोज निकालने का यह दुर्लभ वाकया बचाव दल के सामने आया है। उल्लेखनीय है कि घटना की सूचना मिलते ही तहसीलदार दयाराम भोयर ने उसे खोजने के लिए तहसील स्तर की दल और ढीमर समुदाय की मदद से सक्रिय अभियान चलाया। लेकिन शाम तक कोई सफलता नहीं मिली। घटना के दूसरे दिन जिला स्तरीय टीम की तलाशी अभियान के लिए भेजा गया था। घटनास्थल से 2 किमी तक लापता चांदनी की तलाशी की गई। लेकिन असफलता ही हाथ लगी। नगर के माध्यम से एक और खोज में अचानक एक ‘साइफन” एक नहर के नीचे वी आकार में नहर के बीच में या नदियों नालों के सामने जल निकासी के लिए बिना किसी बांदा के निर्मित जलमार्ग है। जिसे साइफन कहा जाता है। अनुमान लगाया गया था कि चांदनी चांदनी का शव उसी स्थान पर फंसा होगा। नहर बह रही थी इसलिए पुजारीटोला से विसगँ का पानी बंद किया गया। करीब 24 घंटे की मशक्कत के बाद पानी कम हुआ और तलाशी कार्य में तेजी आई लेकिन तब तक शाम हो चुकी थी और अगले दिन की तलाशी ठप हो गई थी। दिन 17 अक्टूबर को जिला स्तरीय खोज और बचाव दल ने सुबह से ही अपनी तलाशी अभियान शुरू कर दिया। जिलाधीश ने राज्य आपदा प्रबंधन को बुलाया। साइफन नहर का भूमिगत मार्ग था वह मार्ग पूरी तरह से पानी से अवरुद्ध था। भूमिगत साइफन मे ऑक्सीजन की कमी के साथ-साथ लोहे के एंगल भी थे। इसलिए रेरक्यू टीम के लोगों को गंभीर खतरे का अहसास हो रहा था।
– खतरे से खाली नहीं था अभियान-
भूमिगत नहर में तलाशी अभियान एक जान गाने जैसा है। अंतत: नाहर खाली करने का फैसला लिया। नहर के दोनों और पानी को मोड़ने के लिए मिट्टी के बांध बनाए गए। इसके बाद साइफन के दोनों किनारे पर 10 से 15 मोटर पंप लगाए गए और नहर के पानी को पंप कर भूमिगत नहर को खाली कर दिया गया। इससे करीब 5 -6घंटे का समय लगा। साइन कुछ हद तक खाली होने के बाद, एसडीआरएफ नागपुर और जिला खोज और बचाव दल के सदस्यों ने रेक्वयू कर चांदनी का शव खोज लिया। इस घटना से ग्रामीण आक्रोशित हो गए थे। लेकिन उन्होंने प्रशासन की मदद की।
जिला स्तरीय दल ने भी किया परिश्रम-
राज्य आपदा प्रबंधन दल के साथ ही तहसीलदार दयाराम भोयर, सहायक पुलिस निरीक्षक नाले, खोज और बचाव दल के सदस्य नरेश उके, राजकुमार खोटेले, राजकुमार बोपचे, जसवंत राहगंडाले, रवि भांडारकर, संदीप कराडे, दीनू दीप, राज अंबादे, सुरेश पटले, चालक मंगेश डोये, इंद्रकुमार बिसेन, चुन्नीलाल मुटकुरे, जबराम चीफ चिखालौंडे, गिरधारी पतेह, चिंतामन गिरहेपुंजे ने शोध कार्य किया।