दिग्रस।
एसटी बस पर लिखा दीक्षाभूमि एक्सप्रेस नाम हटाने को लेकर समाजबंधुओं की भावनाएं आहत हुई है। नाम हटाने की बात पर वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश का हवाला देने वाले डिपो मैनेजर संदीप मडावी औरविभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ यवतमाल जिला पुलिस अधीक्षक को शिकायत देने की मांग अब उठने लगी है। मालूम हो कि सन 2016 से धम्मचक्र प्रवर्तन दिन के उपलक्ष्य पर दिग्रस डिपो द्वारा एक स्पेशल बस नागपुर रवाना की जाती है। इस बस पर दीक्षाभूमि एक्सप्रेस नाम लिखा होता है। इस बस को सजाधजा कर उस नागपुर रवाना किया जाता है। लेकिन साल यह बस नागपुर से जब दिग्रस लौटी तब दिग्रस डिपो मैनेजर संदीप मडावी ने उस बस पर लिखा हुआ नाम हटाया इस आशय का आरोप सामने आया है। इस संदर्भ में सोमवार को आम्बेडकरी समाज बंधुओं ने इस हरकत पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है। इस दौरान ज्ञापन सौंपने पुलिस थाने पहुंचे समाज बंधुओं ने थानेदार सोनाजी आमले से मुलाकात कर इस घटना की जानकारी दी जिसके बाद डिपो मैनेजर और शिकायत कर्ताओं को आमने सामने बिठा कर मामले को शांति से सुलझाने का प्रयास किया गया जो कि सफल रहा। सूत्रों ने बताया कि डिपो मैनेजर संदीप मडावी ने वरिष्ठ अधिकारीयो के आदेश पर नाम हटाया है,हालाकिं सोमवार को पुलिस थाने में हुई बहज में मडावी ने उक्त बस पर दोबारा दीक्षाभूमि नाम लिखने का आश्वासन दिया हैं। समाज बंधुओ की माने तो इस मामले की शिकायत यवतमाल जिला पुलिस अधीक्षक से करने की मांग जोर पकड़ रही है। इस मौके पर पत्रकार गौतम तुपसुन्दरे, पत्रकार धर्मराज गायकवाड़, किशोर काम्बले, ऋषिकेश हिरास, अरुण इंगोले, पत्रकार कपिल इंगोले, मिलिंद मानकर, गणेश रोकड़े, अजय काम्बले, किशोर कदम, दिनेश खाड़े ,सनथ तुपसुन्दरे, सुमित हातागले, निशांत बंसोड़, नितिन मनवर आदि सहित अन्य समाजबंधु बडी संख्या में उपस्थित थे।
अधिकारियों को सामाजिक सद्भावना के दीक्षा की जरूरत-
बहरहाल इस पूरे मामले पर इतना ही कहा जा सकता है कि, सभी संजबन्धुओ की भावनाओ का आदर करना सरकार और सभी सरकारी विभागों का हैं, एसटी विभाग का भी है ऐसे में फिर एसटी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियो को बस पर लिखा दीक्षा भूमि एक्सप्रेस नाम हटाने की इतनी जल्दबाजी क्यो थी लगता है। उनकी इस बेतुकी हरकत को देख कर लगता है जैसे उन्हें समाजिक सद्भाव के पालन की दीक्षा दिलाना बेहद जरूरी है ताकि भविष्य में उनसे इस तरह की कोई जल्दबाजी न हो और न ही उनके द्वारा किसी समाज की भावनाएं आहत हो।