गोंदिया।
छोटी से छोटी स्वास्थ्य संस्था में 24 घंटे विद्युत और पानी की सुविधा हो ऐसे शासन के स्पष्ट निर्देश है। इसके बावजूद जिला मुख्यालय वाले महत्वपूर्ण बीबीडब्ल्यू शासकीय अस्पताल और शासकीय मेडिकल कॉलेज में 24 घंटे विद्युत की सुविधा नहीं हैं। इन अस्पतालों को 24 घंटे विद्युत सुविधा उपलब्ध हो इसके लिए स्वास्थ्य संस्था ने पिछले 12 वर्ष में 2 बार सार्वजनिक निर्माण कार्य को 2 करोड़ 15 लाख
रुपए दिए हैं। इतनी बड़ी राशि का भुगतान करने के बाद भी सार्वजनिक निर्माण कार्य विभाग 24 घंटे विद्युत सेवा देने में सफल हो गया हैं। 13.50 लाख जनसंख्या के लिए गोंदिया के शासकीय मेडिकल कॉलेज महिला अस्पताल वर्तमान में लोडशेडिग का सामना कर रहे है। विद्युत आने पर ही शल्य क्रिया शुरू करेंगे। ऐसा डॉक्टरों द्वारा मरीजों के रिश्तेदारों को बताना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि मेडिकल कॉलेज आने के पहले 12 वर्ष पूर्व प्रभारी जिला शल्य चिकित्सक डॉक्टर के जी अग्रवाल कार्यरत थे। उन्होंने केटीएस जिला सामान्य अस्पताल बीबीडब्ल्यू अस्पताल में 24 घंटे विद्युत सेवा पूर्ति के लिए एक्सप्रेस फ्रीडम लगाने 1 करोड 40 लाख रुपए सार्वजनिक निर्माण कार्य विभाग के माध्यम से विद्युत विभाग को दिए थे। उन पैसों से एक्सप्रेस फीडर पर लगाया गया है। खमारी के सम स्टेशन से एक्सप्रेस फीडर का केबल केटीएस अस्पताल में लगाया गया था। मगर कुछ दिन रहने के बाद एक्सप्रेस फीडर की सेवा खंडित हो गई। शहर के बाहर बनाए गए बाइपास से इस एक्सप्रेस फ्रीडर के विद्युत तार टूट गए हैं। जिससे शुरुआत में 1 वर्ष छोड़कर एक्सप्रेस फीडर की सेवा बंद पड़ी है। इसके बाद तत्कालीन जिला चिकित्सक डॉ रवि धकाते ने पुन: विद्युत की सुविधा करने करने के लिए 75 लाख रुपए सार्वजनिक बांधकाम विभाग के माध्यम से विद्युत विभाग को दिए. इतनी बड़ी रकम देने के बाद भी शासकीय मेडिकल कॉलेज और बीजेडब्ल्यू अस्पताल अंधेरे में है। मगर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस संबंध में कोई भी सकारात्मक पहल नहीं कर रहे हैं।
शल्यक्रिया बिजली के भरोसे-
गंभीर मरीजों को शल्य क्रिया करनी हो तो उस मरीज की शल्यक्रिया डॉक्टर नहीं करते हैं। विद्युत आपूर्ति शुरू होने पर गंभीर मरीज की शल्यक्रिया की जाती है। विद्युत के अभाव में समय पर शल्यक्रिया नहीं होने से मरीज की जान भी जा सकती हैं।
नहीं आई वोल्टेज टेंशन और जनरेटर-
अस्पताल में वर्ष भर में 8 हजार से अधिक महिलाओं की प्रस्तुति होती है। जिला आदिवासी वह नक्सल दृष्टि से अति संवेदनशील है। गरीब और सामान्य परिवार की महिलाओं को प्रसूति के लिए इस अस्पताल का सहारा लेना पड़ता है। इस अस्पताल में 24 घंटे विद्युत की सुविधा नहीं है।
इतना ही नहीं हाई वोल्टेज जनरेटर की जरूरत होने के बावजूद इस अस्पताल में सुविधा नहीं है। इस अस्पताल में गर्भवती को विद्युत के अभाव में उपचार के लिए प्रतिज्ञा करनी पड़ती है।