10 सालों से अधर में लटका डोलंबा-वडगाव पांदन रास्ते का निर्माणकार्य किसानों ने संजय राठोड़ से लगाई गुहार

सन 2012 में रोजगार गारंटी योजना के तहत दिग्रस तहसील के डोलंबा से वडगाव पांदन रास्ते के निर्माण को मंजूरी मिली थी,लेकीन विधायक संजय राठोड और उनके स्थानीय ग्रामीण जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते से उक्त पांदन रास्ता अब तक बना नही है। जिस वजह से स्थानीय किसान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे है।
उपरोक्त रास्ते की मांग को लेकर सन 2012 से स्थानीय किसानों,खेत मजदूरों सहित गांव वालों ने न सिर्फ सरकारी दफ्तरों के हजार बार चक्कर कांटे बल्कि दिग्रस तहसील में इस मुद्दे को लेकर सन 2014 मे बेमियादी अनशन भी छेडा गया था। वैसे कृषि प्रधान देश मे किसानों को खेत जाने के लिए रास्ता न होना यह न सिर्फ दुःखद बात है बल्कि इस मांग के लिए उन्हें अनशन का रास्ता अपनाना पड़े यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। ग्रामीणों और किसानों को शिकायत है कि, दिग्रस दारव्हा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के स्थानीय विधायक संजय राठोड ने भी इस ओर ध्यान नही दिया और ना ही अब दे रहे है। ज्ञात हो कि, डोलंबा गॉंव के इस रास्ते के निर्माण के लिए विधायक संजय राठोड के कार्यकर्ताओ ने बड़े जोर शोर के साथ उक्त रास्ते का भूमिपूजन दि 11अप्रैल 2012 को किया था।लेकिन वह केवल दिखावा साबित हुआ। ऐसे में वादे के मुताबिक संबंधित रास्ता पूरा न होने से 28 अगस्त 2014 को स्थानीय किसानों ने दिग्रस तहसील कार्यालय में अनशन छेड़ा था। उस दौरान तहसील कार्यालय ने रास्ता शुरू करने का आश्वासन लिखित रूप में देते हुए किसानों को अनशन पीछे लेने के लिए आग्रह किया था। किसानों को आश्वासन के जाल में फंसा दिग्रस तहसील के तत्कालीन अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने जो आश्वासन दिया वो फर्जी साबित हुआ। क्यों कि अब तक डोलंबा गांव का उक्त पांदन रास्ता बना नही है और ना ही उसके बनने के कोई संकेत मिल रहे है।

कुल मिलाकर स्थानीय किसान तब से लेकर तक इस रास्ते के निर्माण की बांट जो रहे है। स्थानीय किसानों ने एक बार फिर पूर्व वनमंत्री संजय राठोड को गुहार लगाते हुए पांदन रास्ते को अमली जामा पहनाने की मांग की है। वैसे भी मंत्री बने संजय राठोड शुरू से ही विकास की धारा को अपने निर्वाचन क्षेत्र के अंतिम छोर पर रहनेवाले आखरी इंसान तक पोहचाने कि बात कहते रहे है। ऐसे में देखना होगा के नई नवेली सरकार में अन्न और औषधि प्रशासन मंत्री बने संजय राठोड क्या डोलंबा गॉंव के किसानों को न्याय दिला पाते है?

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