सड़क दुर्घटना को न्योंता दे रही है खस्ताहाल लग्जरी बसें सुरक्षा मानकों की उड़ रही धज्जियां!

यवतमाल जिले के तहसील केंद्रों से चलने वाली लग्जरी बसों की खस्ताहालत चिंता का विषय बन गया है। सुरक्षा मानकों के साथ खिलवाड़ करती अधिकतर बसों से भविष्य में किसी बडी सड़क दुर्घटना को नकारा नही जा सकता।
यवतमाल जिले के लगभग हर तहसील में ट्रैवेल एजेंसियों के व्यवसाय केंद्र कुकुरमुत्ते की तरह उग गए है। जहाँ से अपनी टिकटें आरक्षित कर लोग पुणे, मुम्बई, नागपुर जैसे शहरों की यात्रा करते है। लेकीन वे जिस निजी लग्जरी बसों से यात्रा करते है उन बसों की हालात बेहद खस्ताहाल है।
सालों से इन बसों का फिटनेस जांच नही हुई है और ना ही कभी आरटीओ विभाग ने छोटे शहरों से दौड़ने वाली इन निजी बसों का जायजा लिया है। खस्ताहाल होने से इन बसों का किराया भी कम है जिस कारण इन बसों में सफर करने वाले ज्यादातर यात्री मजदूर वर्ग के है जो काम के लिए पुणे और मुंबई आते जाते रहते हैं। ज्यादा कमाई के चक्कर में इन ट्रेवल्स में क्षमता से अधिक यात्री भरे जा रहे है। भविष्य में होने वाली अनहोनी रोकने के लिए आरटीओ को विभाग को सजग होकर इन निजी बसों का जायजा लेने की जरूरत है।
कुछ माह पूर्व में यवतमाल से मुंबई जा रही चिंतामणि ट्रैवल्स बस नासिक के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। जिसमें आग लगने से दर्जनों लोगों की मौत हो गई थी। जिसके बाद हरकत में आकर आरटीओ ने यवतमाल से रवाना होने वाले ट्रैवल्स बसों के सुरक्षा मानकों का जायजा लिया था। बता दे की यवतमाल के अलावा आर्णी, दिग्रस, पुसद जैसे छोटे शहरों से पुणे, मुंबई और नागपुर के लिए खस्ताहाल निजी बसें दौड़ रही है। दिग्रस में शाम 4:00 बजे से कान्होबा पेट्रोल पंप के पास से कई निजी खस्ताहाल बसें पुणे और मुंबई के लिए रवाना होती है।

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