बेंगलुरु: भारत का पहला सौर मिशन आदित्य एल1 अपने अंतिम गंतव्य की ओर बढ़ रहा है, इसरो ने एल1 पॉइंट का स्थितिजन्य जागरूकता विश्लेषण किया है। आज की तारीख में एल1 के हेलो ऑर्बिट में चार अंतरिक्ष यान हैं. नासा के विंड, एडवांस्ड कंपोजीशन एक्सप्लोरर और डीप स्पेस क्लाइमेट ऑब्जरवेटरी, जबकि चौथा, सोलर एंड हेलिस्फेरिक ऑब्जरवेटरी, नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का संयुक्त मिशन है।इसरो ने कहा कि लैगरेंज पॉइंट्स, जिन्हें लाइब्रेशन पॉइंट्स भी कहा जाता है, अंतरिक्ष में अद्वितीय स्थान हैं जहां दो विशाल पिंडों (जैसे सूर्य और पृथ्वी) का गुरुत्वाकर्षण बल ठीक उसी सेंट्रिपेटल फोर्स के बराबर होता है जो एक छोटे पिंड (जैसे अंतरिक्ष यान) को उनके साथ घूमने के लिए आवश्यक होता है।इसरो ने बताया कि अंतरिक्ष यान के लिए लैगरेंज पॉइंट्स बिल्कुल आदर्श स्थान होते हैं क्योंकि यहां ऑर्बिट करेक्शंस और ऑर्बिट को मेंटेन करने के लिए जरूरी ईंधन की आवश्यकताएं बहुत कम रखी जाती हैं। ‘दो कक्षीय पिंडों (जैसे सूर्य-पृथ्वी और पृथ्वी-चंद्रमा प्रणालियों) के किसी भी संयोजन के लिए पांच लैगरेंज पॉइंट होते हैं। ये सभी दो बड़े पिंडों के कक्षीय तल में होते हैं।इसरो ने कहा कि एलपीओ के लिए ऑर्बिट डिटरमिनेशन (ओडी) के लिए कुछ दिनों तक ट्रैकिंग डेटा कलेक्शन की जरूरत होती है। विशिष्ट ओडी एक्यूरेसी कुछ किलोमीटर के क्रम की होती है। इसरो ने कहा, ‘आदित्य एल1 के लिए हम नासा-जेपीएल के समर्थन से समय-समय पर सुरक्षा सुनिश्चित करने और अन्य पड़ोसी अंतरिक्ष यान के साथ करीबी संपर्क की किसी भी संभावना से बचने के लिए इस तरह का विश्लेषण करने की योजना बना रहे हैं।’भारत ने अगस्त में चंद्रयान-3 मिशन में कामयाबी हासिल की थी। चंद्रयान-3 से जुड़े जितने भी लक्ष्य थे, वह पूरे हो गए। इसके बाद विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को स्लीप मोड में भेज दिया गया था। चांद पर सुबह होने के बाद अब फिर इन्हें जगाने की कोशिश हो रही है। यूरोपीय स्पेस एजेंसी का फ्रेंच गुयाना का कौरौ स्टेशन से इन्हें जगाने का सिग्नल लगातार भेजा जा रहा है। अभी तक यह जगे नहीं हैं।
Sunday, November 24, 2024
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