प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सोशल मीडिया पर अश्लील वीडियो का प्रसार सामाजिक गिरावट का नतीजा है। ऐसे मामलों की जांच करते समय पुलिस अधिकारियों को उच्चतम गुणवत्ता सुनिश्चित करनी चाहिए।
सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री अपलोड करने के एक मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की। डीजीपी को विवेचना की कमियों को दूर करने के लिए फौरी कदम उठाने का निर्देश दिया और एसपी जौनपुर को वायरल वीडियो की बरामदगी न करने पर स्पष्टीकरण के साथ अगली सुनवाई पर हाजिर होने का आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने अभियुक्त सूरज की जमानत अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी। मामले में गवाह ने बयान दिया कि अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित किया गया, लेकिन विवेचना अधिकारी ने उस वीडियो की बरामदगी नहीं की, जिसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यूपी पुलिस की विवेचना की गुणवत्ता बहुत ही कमजोर है, जो सामाजिक विक्षोभ का करण बन सकता है।
कोर्ट ने कहा लगता है कि आदेश का पालन नहीं किया जा रहा या पुलिस आईटी से संबंधित अपराधों की विवेचना की गुणवत्ता कायम रखने में विफल रही है। कोर्ट ने पुलिस को विवेचना की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश जारी करने का निर्देश दिया है।
Sunday, November 24, 2024
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