विदर्भ में उत्पादित तिलहन का भोजन में एक विशेष महत्व है। इसके अलावा, सुगंधित तेल के गुणों को आयुर्वेद में उपयोग किया जाता है।
लेकीन बदले हुये तेलधोरनसे जवस उत्पादन कायम का हद्दपार होणे के स्थिती मे है गांव की पांरपारिक तेलघान्या बंद को हो गई। लेकीन पुराना ये सोना होता है इस प्रकार ख्याती रहने वाले जवस का संवर्धन और प्रक्रिया को चालना देणे के लिऐ और किसानो का कलह जवस उत्पादन कि ओर बढाने के लिऐ उप-विभागीय कृषि अधिकारी के सहयोग से वर्धा जिला आत्मा परियोजना निदेशक डॉ विद्या मानकर के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन में किसानों के संरक्षण और विविधीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आत्मा परियोजना के तहत सुल्तानपुर शिवारा में नंदकुमार घोड़मारे, उपविभागिय कृषि अधिकारी ,तालुका कृषि अधिकारी श्री गायकवाड इनके सहकार्य से जवस की फसल लगाई गई थी। इस जवस की फसल की कटाई की गई है और यहाँ जवस की अच्छी पैदावार प्राप्त की गई है। कृषि विभाग आशावाद व्यक्त कर रहा है कि इससे भविष्य में जवास की खेती को बढ़ावा मिलेगा।