सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ 3 दिवसीय महोत्सव संपन्न

मंदिरों के शहर के रूप में सुप्रसिद्ध धार्मिक नगरी रामटेक का 3 दिवसीय रामटेक महोत्सव अनेकानेक धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मंगलवार (8 नवंबर) की शाम समाप्त हो गया।
गौरतलब है कि उपरोक्त महोत्सव का प्रारंभ बैकुंठी चतुर्दशी ( 6 नवंबर) को भारतीय जनसेवा मंडल की शोभायात्रा समिति द्वारा सर्वधर्म समभाव और राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता के उद्देश्य को लेकर निकाली गई शोभायात्रा द्वारा हुई , महर्षि अगस्ति आश्रम के स्व. संत गोपाल बाबा द्वारा वर्ष 1981 में शुरू की गई उपरोक्त शोभायात्रा का यह 41 वां वर्ष था. विभिन्न धार्मिक, ऐतिहासिक और लोक कलाओं पर आधारित शोभायात्रा में कुल 50 से ज्यादा शामिल झांकियों की शुरुआत अठारह भुजा गनपति मंदिर में विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद हुई और नगर के विभिन्न भागों से गुजरती हुई झांकियां नेहरू मैदान में पहुंची और वहां पर आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली कुल 28 झांकियों को नकद पुरस्कार से सम्मानित किया गया. पुरस्कार वितरण समारोह में शोभायात्रा के मुख्य आकर्षण रहे फिल्म अभिनेता शाहबाज खान, सांसद कृपाल तुमाने, विधायक आशीष जायसवाल, विधायक सुनील केदार, भूतपूर्व विधायक डी मल्लिकार्जुन रेड्डी, नागपुर जिला ग्रामीण कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र मुलक, पर्यटक मित्र चंद्रपाल चौकसे, पंचायत समिति के भूतपूर्व उप सभापति उदय सिंह उर्फ गज्जू यादव, समाज सेवक जय प्रकाश उर्फ बबलू तिवारी मंच पर विराजमान थे। शोभायात्रा की सफलता हेतु शोभायात्रा समिति के अध्यक्ष ऋषिकेश किम्मतकर, उपाध्यक्ष सुमीत कोठारी, सचिव रितेश चौकसे सहित अन्य ने अथक प्रयास किया. 7 नवंबर की शाम काकड़ आरती भक्त परिवार द्वारा राम रथ यात्रा निकाली गई, रथयात्रा की शुरुआत विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर से होकर नगर के विभिन्न मार्गों से होकर समापन रामतलाई धार्मिक मैदान पर हुआ.
7 नवंबर की मध्यरात्रि जैसे ही घड़ी का कांटा 12 पर पहुंचा मोहन पंडे, राम पंडे, धनु पंडे सहित अन्य पुजारियों ने राम और लक्ष्मण मंदिर के शिखर पर चढ़कर त्रिपुर जलाया। इस अवसर पर गढ़ मंदिर परिसर भक्तों से खचाखच भरा था। दोनों मंदिरों के शिखरों पर त्रिपुर जलने के बाद भव्य आतिशबाजी करने के साथ ही जय श्रीराम के नारों से मंदिर परिसर गूंज उठा। इस अवसर पर राम मंदिर की रिसीवर और उप विभागीय अधिकारी वंदना सवरंगपते प्रमुख रूप से उपस्थित थीं।
त्रिपुर जलने के साथ ही रामटेक शहर में मंडई, जलसा और लोक कलाओं को दर्शाने वाले अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत हो गई, रातभर शुरू रहने के बाद 8 नवंबर की शाम पुरस्कार वितरण के साथ उनका समापन हो गया,इसी के साथ तीन दिनों तक शुरू रहे रामटेक महोत्सव का समापन भी हो गया।

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