मनीष श्रीवास के नाम से छोटे ही नहीं बड़े अपराधी भी खौफ खाते थे. ऐसे में उसे भतीजे का आश्रय मिल गया. भतीजे के कहने पर मनीष ने बहुत से काम किए. मनीष बहुत ही चालाकी से गेम करता था और आसानी से बचकर निकल जाता था. शहर के सभी अपराधी यह बात जानते थे कि यदि मनीष ने कोई काम हाथ में लिया तो उसे पूरा करेगा.
ऐसे में उसे भतीजे का साथ मिल गया और रणजीत सफेलकर को पता चला कि मनीष उसका गेम करने की तैयारी में है. आबिद बिहारी के मर्डर में भतीजे के जेल जाते ही उसकी गैंग के लोगों में कंगाली छा गई. इसी का फायदा रणजीत ने उठाया. उसने भतीजे से जुड़े अपराधियों को अपनी गैंग में शामिल कर लिया और पूरी प्लानिंग के साथ मनीष का मर्डर किया गया. इसी बीच क्राइम ब्रांच ने रणजीत को प्रथमश्रेणी न्यायदंडाधिकारी एम.डी. जोशी की अदालत में पेश किया. अदालत ने उसे 12 अप्रैल तक पुलिस हिरासत में रखने के आदेश दिए है.पुलिस ने न्यायालय को बताया कि इस प्रकरण में सफेलकर के खिलाफ कई सबूत हाथ लगे हैं.3 वाहन और हथियार जब्त किए जा चुके है. हत्या के बाद जिस जगह पर कपड़े जलाए गए थे वह जगह भी आरोपी ने दिखाई है. हत्या की प्लानिंग में उपयोग किया गया. स्मार्ट फोन सफेलकर ने मध्य प्रदेश में छुपाया है. वह फोन पुलिस को जब्त करना है. आरोपियों के बीच हुई बातचीत का रिकार्ड भी पुलिस के हाथ लगा है. आरोपी को पुलिस हिरासत में रखने की अनुमति दी जाए. बचावपक्ष के वकील प्रकाश जायसवाल, आशीष नायक, अविनाश बालपांडे, रौनक शर्मा और रोहित जायसवाल ने पुलिस हिरासत का विरोध किया. जायसवाल ने न्यायालय को बताया कि जिस फोन की जानकारी पुलिस कोर्ट को दे रही है वह 2012 में लांच ही नहीं हुआ था. इसीलिए पीसीआर की वजह ही गलत है. दोनों पक्षों की जिरह के बाद न्यायालय ने 12 अप्रैल तक पुलिस हिरासत मंजूर की.