दिग्रस।
राज्यभर में हाल ही बेतहाशा बारिश के रूप में किसानों पर कहर बनकर टूटे आसमानी संकट ने सोयाबीन, मूंग, कपास जैसी फसलों का देखते ही देखते निगल लिया। ऐसे में किसानों का भविष्य फिर से अंधकार में डूबता नजर आरहा है। इसी कारण मंगलवार को तहसील के लगभग हर गांव के किसानों ने इकट्ठा आते हुए तहसील शिवसेना पदाधिकारियो के साथ तहसील कार्यालय पहुंचकर तहसील के हर गांव से एक ऐसे लगभग 50 से ज्यादा ज्ञापन सौप कर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है। सेना के पदाधिकारियो के अनुसार फसलों के पंचनामे और फसल बीमा की सरकारी खानापूर्ति होती रहेगी।ऐसे में दीवाली के आगामी पर्व के मद्देनजर किसानों को प्रति एकड़ 50 हजार रुपये की मदद तत्काल मुहैया कराने की मांग उठाई गई है। ज्ञापन सौपते समय बडी संख्या में तहसील के किसान वर्ग,शिवसेना पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित थे।
किसानों का उद्धव ठाकरे पर हैं विश्वास-
देखा जाए तो ये बडी विडम्बना है कि राज्य में जब सरकार के मुखिया खुद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री है, फिर भी शिवसेना के स्थानीय नेताओ और पदाधिकारियों को ठाकरे से किसानो को आर्थिक मदद मुहैया कराने की मांग करनी पड़ रही है। हालांकि सेना के स्थानीय पदाधिकारी इस पहल को किसानों का मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर भरोसा और विश्वास करार दे रहे हैं।
हजम नही हो रहा सेना का तर्क-
उपरोक्त मामले में कुल मिलाकर देखा जाए तो किसानों के मुद्दे पर विपक्ष या अन्य संगठन सरकार से मदद की गुहार लगाकर अपने राजनीतिक अधिकार और विरोध का प्रदर्शन कर चुके है, लेकिन मंगलवार को किसानों के साथ शिवसेना के पदाधिकारी और कार्यकर्ता द्वारा किसानों के मुआवजे की उठाई गई मांग अपनेआप में सरकार की तत्परता पर सवाल खड़े कर रही है। हालांकि ये बात अलग है कि दिग्रस शिवसेना के पदाधिकारी इस पहल को सरकार पर किसानों का विश्वास बता रहे है,लेकिन विश्वास का यह तर्क विपक्ष के साथ ही सामाजिक और राजनीतिक सूझबूझ रखनेवाले नागरिकों को हजम नही हो रहा है।