विश्व अहिंसा व राष्ट्रीय युवा चेतना दिन मनाया

महात्मा गांधी, लालबहादुर शास्त्री के विचार व कार्य ये आज के युवावस्था के साथ वयोवृद्ध के लिए सभी को काम, सभी का विकास ये मंत्र उन्नतीमय होकर व्यक्ति केन्द्रित ना होके ग्रामयुक्त सहभाग व सामुदायीक कार्य इसमें से ही गरीबी निर्मूलन होकर रोजगाराभिमुख भारत इस हेतु अंबंर चरखा हे स्वावलंबन करने का माध्यम तो, जय जवान जय किसान हे ब्रिद वाक्य लेकर भारत आत्मनिर्भर कैसे किया जाए ये ध्यास शास्त्रीजी ने देकर आज के युवको को चेतनामय उर्जा देने का कार्य करने का प्रतिपादन भारतीय युवा संस्कार परीषद के संस्थापक प्रदीपकुमार नागपुरकर ने किया है। भारतीय युवा संस्कार परीषद व जुपिटर कोचिंग क्लाँसेस के द्वारा आयोजित महात्मा गांधी व लालबहादुर शास्त्री की जयंती पर जागतिक अहिंसा व राष्ट्रीय युवा चेतना दिनोत्सव तथा जुपिटर कोचिंग क्लाँसेस के उद्घाटन प्रसंग पर प्रमुख मार्गदर्शक करके प्रदीपकुमार नागपुरकर बोल रहे थे। अध्यक्ष स्थान पर देवराव नवघरे, प्रमुख अतिथि स्कूल आँफ स्काँलर्स की मुख्याध्यापिका सौ.संतोषी बैंस, गजानन नांदुरकर, जगदीश वांदिले, पालक प्रतिनिधीं सुरेश वडुले तो क्लाँसेस के मुख्य संचालक अमोल भोंमले आदि मान्यवर प्रमुखता से उपस्थित थे।
जुपिटर क्लाँसेस नंदोरी चौक हिंगणघाट के सभागृह में आयोजित कार्यक्रम की सुरुवात राष्ट्रपिता म.गांधी व भारतके दुसरे पंतप्रधान लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमाओं का पुजन व अभिवादन करके दीप प्रज्वलित करके किया गया। इस प्रसंग पर जगदीश वांदिले, गजानन नांदूरकर, सुरेश वडुले ने अपने विचार व्यक्त किए। तो संतोषी बैस बोले की, देश विदेश महात्मा गांधी व लालबहादुर शास्त्री की ख्याति अजराअमर होकर उनकी ख्याती साधी राहणी और उच्च विचारसरणी इस दृष्टी से आज का दिन जागतिक अहिंसा दिन व राष्ट्रीय चेतना दिन ऐसा उपयुक्त है।
इसी नवनिर्माण के कार्य को हमे अनुकरण करना है। ऐसा मनोगत व्यक्त किया। क्लाँसेस के संचालक अमोल भोंमले ने शिक्षण क्षेत्र की समस्या और गांधी, शास्त्री की चेतना शक्ति विद्यार्थी वर्ग को कैसे सहायक है इसपर विचार प्रगट किए। कार्यक्रम प्रास्ताविक प्रा. कमलाकर नवघरे ने तो आभार प्रदर्शन नितिन नव्हाते ने माना। सुत्रसंचालन अरुण सोनेकर ने किया। कार्यक्रम की सफलता के लिए परीषद के संयोजक चेतन काले, निशिकांत सिंगरु, राकेश कवडे, विकी काटपेलवार, कु. प्रिया भोंमले, श्रृति वैद्य, दीक्षिता वैद्य, दामिनी मुडे, श्रृति भोंमले, ओम भोंमले, आदिने परीश्रम लिया।

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