विपश्यना की हो अंतरराष्ट्रीय पहचान -कुंभारे

कामठी।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विपश्यना को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता देने का अनुरोध किया जाएगा। उक्त विचार व्यक्त करते हुए एड. सुलेखा कुंभारे ने ड्रैगन पैलेस विपश्यना ध्यान केंद्र की स्थापना दिवस के अवसर पर कहा कि शरीर को रोगमुक्त और स्वस्थ रखने के लिए शारीरिक दृष्टि से योग जरूरी है। वहीं मानसिक विकारों पर काबू पाने और स्थितियों से निपटने के लिए भी विपश्यना भी महत्वपूर्ण है। इन सब बातों की मुक्ति पाने के लिए तथागत ने व्यावहारिक मार्ग से विपश्यना का मार्ग बताया है। एड. सुलेखा कुंभारे ने कहा कि विपश्यना पूरी दुनिया में व्यापक रूप से स्वीकार किया जा रहा है। ऐसे में विपश्यना को भी योग की तर्ज पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलनी चाहिए, हम इसके लिए प्रयास करेंगे और इस संबंध में राष्ट्रपति  रामनाथ कोविंद व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन भी दिया जाएगा।
 ड्रैगन पैलेस विपश्यना ध्यान केंद्र की स्थापना के अवसर पर बुधवार को आयोजित ध्यान शिविर में बड़ी संख्या में विपश्यना साधकों ने भाग लिया। साथ ही सहायक आचार्य और बाल शिविर शिक्षक ने भी भाग लिया। आचार्य दहाट गुरुजी ने सहायक आचार्य एवं बाल शिक्षक के शिविर को मार्गदर्शन किया, वहीं कमला गवई ने भी विपस्वी साधकों के शिविर को मार्गदर्शन किया। दोनों शिविर ड्रैगन पैलेस विपश्यना ध्यान केंद्र में आयोजित किए गए थे। वहां पहुंचे बड़ी संख्या में विपश्यना साधकों ने लाभ प्राप्त किया। ज्ञात हो कि नियमित 10 दिवसीय, 3 दिवसीय और 1 दिवसीय शिविर कार्यक्रम अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में शुरू किए जाएंगे। कार्यक्रम के सफलतार्थ सुनील वानखेड़े, सचिन नेवारे, विनय बाबोर्डे, रेखा भावे, वंदला आडे, शालु सावतकर, सुमन घरडे, चंद्रजीत नागदेवे, देवले गुरुजी, धम्मसेवक रामटेके, भीमराव हाडके, चंदू कापसे आदि ने अपना योगदान देकर सहकार्य किया।

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