वरखेड़ी की “पाश्चात्य तर्कशास्त्र” संस्कृत पुस्तक पुरस्कार से सम्मानित

 

रामटेक।

कवि कुलगुरू कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति और गोंडवाना विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी द्वारा लिखित पुस्तक पाश्चात्य तर्कशास्त्र को कर्नाटक संस्कृत विश्वविद्यालय के संस्कृत ग्रंथ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। वर्ष 2020 के लिए घोषित संस्कृत ग्रंथ पुरस्कारों में वरखेड़ी की इस पुस्तक को स्थान मिला है। हर साल संस्कृत महोत्सव के अवसर पर संस्कृत भाषा में विभिन्न विषयों के ग्रंथों को पुरस्कार दिए जाते हैं।संस्कृत महोत्सव के उद्घाटन कार्यक्रम में कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गेहलोत के हाथों संस्कृत ग्रंथ पुरस्कारों का वितरण किया गया। प्रो. वरखेड़ी एक न्यायविद हैं। वे भारतीय दर्शन, पश्चिमी दर्शन, तर्कशास्त्र और कंप्यूटर भाषा विज्ञान के एक अभ्यासक और शोधकर्ता हैं। अब तक, उन्होंने 12 शास्त्राधारीत पुस्तकें प्रकाशित की हैं और 10 शोध प्रबंध पूरे कीये हैं।
पाश्चात्य तर्कशास्त्र पुस्तक विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अखिल भारतीय प्राच्य अध्ययन परिषद के शताब्दी समारोह में प्रकाशित हुई थी। यह पुस्तक पश्चिमी तर्क के इतिहास के साथ प्राचीन भारतीय नव-न्यायशास्त्र का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करती है। पाश्चात्य तर्कशास्त्र में नव-न्यायशास्त्र में अवधारणाओं और सिद्धांतों के विनियोग को विभिन्न उदाहरणों द्वारा दर्शाया गया है, लेकिन यह विज्ञान के अध्ययन, चर्चा या शिक्षण तक सीमित नहीं है। प्रोफेसर वरखेड़ी, एक न्यायविद, ने दोनों के बीच की खाई को पाटने का पहला प्रयास किया है।उनके इस उपलब्धी के लिये विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ हरेकृष्ण अगस्ती,अधिष्ठाता, प्रशासकीय अधिकारी आदी ने उनका अभिनंदन की या है।

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