लाॅकडाउन की आड में रेल्वे प्रशासन की यात्रियों से धोखाधड़ी

 

हिंगणघाट।

आम आदमी कोरोना से लड़ते लड़ते अब खुद के अस्तित्व के लिए भी लड रहा है। रोजगार, वेतन में कटौती, महंगाई इस जैसे अनेक स्तर पर उसकी जंग जारी है। अब उसमे यहां स्टॉपेज बंद होने से उसकी जंग पिछड़ती जा रही है। हिंगणघाट में रेल्वे गाडीयो का स्टॉपेज नहीं होने से इन आम लोगों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। उन्हे नागपुरर अथवा वर्धा जाकर आगे के सफर के लिए गाड़ी पकड़ना पड़ रहा है। सरकार ने इस ओर ध्यान देकर हिंगणघाट में रेल्वे गाडियो के स्टॉपेज पूर्ववत शुरू करने की मांग विभिन्न संघटन द्वारा की जा रही है। लाखो लोगो की जीवनदायी रेल्वे कोरोना काल से बंद की गई। जिस वजह से तहसील के यात्री जनता के हाल हो रहे हैं। हिंगणघाट-समुद्रपुर तालुका की जनता ने हिंगणघाट रेल्वे स्टेशन पर रुकने वाली सभी गाडियो के स्टॉपेज पूर्वतत सुरु करने की मांग एकता प्रतिष्ठान ने केंद्रीय रेल्वे मंत्री अश्र्विन वैष्णव, मंडल रेल्वे प्रबंधक नागपुर, द्वारा एस एस सवई (स्टेशन प्रबंधक हिंगणघाट) ए. के. स्वर्णकार (उप प्रबंधक) अनिल कुमार शर्मा (उपनिरीक्षक आर पी एफ) इन्हे ज्ञापन देकर की है। हिंगणघाट शहर यह वर्धा शहर से बड़ा होकर भी पुलगाव, वरोरा जैसे छोटे शहर में रेल्वे स्टॉपेज दिए गए। हिंगणघाट शहर यह औद्योगिक शहर के लिए ख्यातिप्राप्त है। यहां अनेक टेक्सटाईल पार्क, सुगुणा उद्योग, मोहता उद्योग समूह जैसे महत्वपूर्ण के उद्योग है। शहर की लोकसंख्या भी बड़े प्रमाण में है। ग्रामीण और शहरी भाग के विद्यार्थी शिक्षण उसिप्रकार नोकऱ्या के लिए पुणे, मुंबई आणि अन्य राज्य में आना जाना करते है। जिनका पर ही रेल्वे पर है इनपर भूखों मारने कोई नौबत आ गई है। विदर्भ की बडी कृषी उत्पन्न बाजार समिती हिंगणघाट की है। हिंगणघाट ये महत्व का ठिकाण होकर भी बीते डेढ़ बरस से रेल्वे स्टॉपेज बंद है। जिस वजह से जनता बड़े संकट में है। लाॅकडाउन की आड में लोगो पर अन्याय किया जा रहा है। एकता प्रतिष्ठान ने इसका विरोध करके प्रशासन को तुघलकी ‌निर्णय पीछे लेने की मांग की है। ज्ञापन देते वक्त मनोहर कांबले, प्रमोद हस्ते, महादेव भोंगाडे, सिद्धार्थ धनवीज, प्रवीण शंभरकर, प्रफुल क्षिरसागर, प्रतिक कांबले, अक्षय काटकर, प्रशील भगत, सुमेध खोब्रागडे, संदेश भांसे, मयुर नगराले, साहील कांबले, अखिल धाबर्डे,
संदेश थुल, प्रज्वल मेंढे, आर्यन कांबळे, चेतन घुसे, रोहीत कांबळे, अमीत कांबले, रुषभ इंदुरकर, मोहनीश लोहकरे, अजीत कांबले आदि उपस्थित थे।

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