नई दिल्ली। (एजेंसी)।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी वैसे तो कांग्रेस के साथ मिलकर विपक्ष की एकजुटता की बात करती हैं, लेकिन उनकी पार्टी तृणमूल ने साफ कर दिया है कि दिल्ली की दावेदारी को लेकर समझौता नहीं किया जाएगा।
दरअसल तृणमूल ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकल्प कांग्रेस नेता राहुल गांधी नहीं, बल्कि ममता बनर्जी ही हैं। मोदी के सामने ममता ही विपक्ष के चेहरे के तौर पर उभरकर सामने आई हैं। इस पर कांग्रेस ने जवाब दिया है कि राहुल गांधी 2014 से ही मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष के सबसे उपयुक्त नेता के तौर पर पहचान बनाए हुए हैं।
तृणमूल का दावा- राहुल विफल, ममता हैं विकल्प
दरअसल तृणमूल के अखबार ‘जागो बांग्ला’ ने शुक्रवार को एक आर्टिकल पब्लिश किया है जिसकी हेडिंग है- ‘राहुल गांधी विफल, ममता हैं विकल्प’…इस लेख में तृणमूल के लोकसभा सांसद सुदीप बंधोपाध्याय, प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाते हुए लिखते हैं- देश विकल्प तलाश रहा है। मैं राहुल गांधी को लंबे समय से जानता हूं, लेकिन कह सकता हूं कि वे मोदी के विकल्प के तौर पर पहचान बनाने में नाकाम रहे हैं। वहीं ममता बनर्जी इस मोर्चे पर सफल रही हैं।
कांग्रेस का जवाब-अभी विकल्प की बात जल्दबाजी
तृणमूल के दावे पर अब विवाद शुरू हो गया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पश्चिम बंगाल कांग्रेस ने कहा है ऐसे बयानों को ज्यादा तवज्जो देने की जरूरत नहीं है, अभी ये कहना जल्दबाजी है कि मोदी का विकल्प कौन होगा?
बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि हम इस बहस में नहीं पड़ना चाहते कि कौन सफल है और कौन नहीं। अभी 2021 चल रहा है और लोकसभा चुनाव 2024 में होने हैं। अधीर रंजन का कहना है कि राहुल गांधी 2014 से ही मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष के सबसे उपयुक्त नेता के तौर पर पहचान बनाए हुए हैं।
वहीं कांग्रेस के सीनियर नेता और सांसद प्रदीप भट्टाचार्य का कहना है कि विपक्ष को सबकी सहमति से तय करना चाहिए कि उनका आम नेता कौन होगा? भारतीय राजनीति का इतिहास गवाह है कि गठबंधन में सहयोगी दलों ने हमेशा सर्वसम्मति से ही नेता चुना है। इसलिए इस मुद्दे पर कई विचार हो सकते हैं, लेकिन इनमें से किसी को आखिरी फैसला नहीं कह सकते।
तृणमूल की सफाई- जनता ही राहुल को विकल्प नहीं मान रही
तृणमूल के सीनियर लीडर कुणाल घोष ने डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश करते हुए कहा है कि उनकी पार्टी का मकसद न तो कांग्रेस का अपमान करना है और न ही वह कांग्रेस के बिना दिल्ली में बीजेपी के विकल्प पर बात करना चाहती है। घोष ने सफाई दी है कि सुदीप बंधोपाध्याय ने कांग्रेस के बिना किसी विकल्प की बात नहीं की है। उन्होंने तो सिर्फ अपने अनुभव बताए हैं कि जनता राहुल को मोदी का विकल्प नहीं मान रही और राहुल अभी इसके लिए तैयार भी नहीं हैं।
घोष का कहना है कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल खुद को साबित नहीं कर पाए, लेकिन बंगाल में इस साल हुए विधानसभा चुनाव में तृणमूल की जीत के बाद ममता बनर्जी, मोदी का विकल्प बनकर उभरी हैं।