रामटेक विस क्षेत्र में शुरू हुआ राजनीतिक खेल मुलक की रामटेक विस क्षेत्र में सक्रियता से बेचैन हैं स्थानीय कांग्रेसी नेता

अपनी अंदरूनी कलह से विरोधी पार्टी के उम्मीदवार को मदद करने वाले स्थानीय कांग्रेसी नेताओं को नागपुर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष,पुर्व मंत्री राजेंद्र मुलक की रामटेक विधानसभा क्षेत्र में अधिक सक्रियता बेचैन करने लगी है, विशेष उल्लेखनीय है कि मुलक ने रामटेक विधान सभा क्षेत्र के रामटेक, पारशिवनी, कन्हान सहित अन्य स्थानों पर कांग्रेस के जन संपर्क कार्यालय शुरू कर दिए हैं और सप्ताह के अलग अलग दिनों में दिनभर वहां पर उपस्थित रहकर लोगों की समस्याओं को सुनकर उनका निपटारा करते हैं, कोरोना काल में मृत व्यक्तियों की विधवाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए मुलक द्वारा सिलाई मशीनों का वितरण, स्वास्थ्य सुविधाओं की आपूर्ति लगातार की जा रही है, हमेशा की तरह इस बार भी स्थानीय उम्मीदवार का मुद्दा लेकर स्थानीय कांग्रेसी नेताओं ने अप्रत्यक्ष रूप से विरोध का बिगुल फूंक कर मुलक को हतोत्साहित करने की कोशिश शुरू कर दिए हैं.
1985 और 1990 में क्रमशः जनता पार्टी और जनता दल से पांडुरंग हजारे ने कांग्रेस के एडवोकेट मधुकरराव किम्मतकर को पराजित करके इस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस विरोधी हवा की शुरुआत कर दी थी. कांग्रेस के बागी उम्मीदवार अशोक गुजर ने उसे आगे बढ़ाया‌ और शिवसेना के आशीष जायसवाल ने 1999 से कांग्रेसी उम्मीदवार की हार की परम्परा ही कायम कर दी .
1995 में कांग्रेस से बगावत करके अशोक गुजर ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और कांग्रेस के गढ़ रामटेक निर्वाचन क्षेत्र पर कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार आनंदराव देशमुख को हराया. लेकिन कुछ महीनों के बाद गूजर शिवसेना में शामिल हो गए और उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया और शिवसेना के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए। 1997 के विधानसभा उपचुनाव में, कांग्रेस ने एक बार फिर आनंदराव देशमुख को मैदान में उतारा और शिवसेना ने एक नए और युवा चेहरे एडवोकेट आशीष जायसवाल को मैदान में उतारा, उपचुनाव में जायसवाल बहुत कम अंतर से चुनाव हार गए. वर्ष 1999 में कांग्रेस ने पुनः विधायक आनंदराव देशमुख को उम्मीदवार बनाया और शिवसेना ने आशीष जायसवाल को, परिणाम यह रहा कि आशीष जायसवाल विजयी हुए और पहली बार विधायक बने. 1999 में शिवसेना ने इतिहास में पहली बार रामटेक विधानसभा क्षेत्र पर कब्जा कर लिया. 2004 में संपन्न विधानसभा चुनाव में रामटेक विधानसभा क्षेत्र से शिवसेना ने तत्कालीन विधायक आशीष जायसवाल को चुनाव मैदान में फिर उतारा और कांग्रेस ने एक नया प्रयोग करते हुए पर्यटन के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम कर रहे पर्यटक मित्र चंद्रपाल चौकसे को उम्मीदवार बनाया. चौकसे को उम्मीदवार बनाए जाने से नाराज़ भूतपूर्व मंत्री स्व मधुकरराव किम्मतकर ने विरोध का शंखनाद करते हुए निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में कूद गए, परिणाम यह रहा कि कांग्रेसी उम्मीदवार को 23904 वोट और किम्मतकर को 27529 वोट प्राप्त हुए. और शिवसेना के आशीष जायसवाल 41115 वोट लेकर दूसरी बार विधायक निर्वाचित हो गए.
महाराष्ट्र विधानसभा के वर्ष 2009 में संपन्न चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भूतपूर्व केन्द्रीय भारी उद्योग मंत्री सुबोध मोहिते को उम्मीदवारी दी और शिवसेना ने अपने दो बार विधायक रहे आशीष जायसवाल को,
स्थानीय कांग्रेसी नेताओं ने मोहिते का विरोध यह कहकर किया वे विधानसभा क्षेत्र के बाहर के रहने वाले उम्मीदवार हैं, मोहिते का विरोध और शिवसेना का समर्थन करने के कारण शिवसेना उम्मीदवार जायसवाल तीसरी बार भी विधायक चुन लिए गए.
चुनाव में जायसवाल को 49937 वोट और मोहिते को 46576 वोट प्राप्त हुए थे।
वर्ष 2014 में रामटेक विधानसभा क्षेत्र से स्थानीय कांग्रेसियों के बाहरी बनाम स्थानीय उम्मीदवार के विरोध की परवाह न करते हुए मोहिते को दोबारा कांग्रेस ने उम्मीदवार बना दिया, भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना का गठबंधन टूटने के कारण इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने स्थानीय सुप्रसिद्ध समाज सेवक डी मल्लिकार्जुन रेड्डी को उम्मीदवारी दी और शिवसेना ने तीसरी बार विधायक चुने गए आशीष जायसवाल को, स्थानीय कुछ कांग्रेसी नेताओं ने मोहिते का विरोध करने के लिए इस चुनाव में तीन बार विधायक रह चुके जायसवाल का समर्थन न करके भा ज पा उम्मीदवार रेड्डी का समर्थन कर दिया, परिणामस्वरूप जायसवाल 47262 वोट और मोहिते 35546 वोट लेकर पराजित हो गए और रेड्डी ने 59343 वोट लेकर निर्वाचित हो गए.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 के चुनावी अखाड़े में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना का एक बार पुनः गठबंधन हो गया और रामटेक विधानसभा क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी के कोटे में चला गया, भा ज पा ने अपने तत्कालीन विधायक रेड्डी को दोबारा उम्मीदवार बना दिया और तीन बार विधायक रह चुके शिवसेना के आशीष जायसवाल ने बगावती तेवर दिखाते हुए निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव में कूद गए, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने स्थानीय कांग्रेसी नेताओं की बाहरी बनाम स्थानीय के संघर्ष को समाप्त करते हुए युवा कांग्रेसी नेता उदय सिंह उर्फ गज्जू यादव को उम्मीदवारी दे दी. यादव को उम्मीदवारी देने के बावजूद कुछ स्थानीय कांग्रेसी नेताओं का मन परिवर्तित नहीं हुआ और वे कांग्रेसी उम्मीदवार यादव के विरोध में मतदाताओं के बींच में चुनाव प्रचार करते हुए दिखाई दिए और परंपरा के अनुसार कांग्रेसी उम्मीदवार को पराजित करा दिए, 2019 में निर्दलीय उम्मीदवार आशीष जायसवाल ने 67419 वोट लेकर 24413 वोटों के ऐतिहासिक अंतर से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी डी मल्लिकार्जुन रेड्डी को पराजित कर दिया.
चुनाव में यादव (भा रा कां) को 32497, रेड्डी (भा ज पा) को 43006 वोट प्राप्त हुए थे.
रामटेक विधानसभा क्षेत्र का चुनावी इतिहास बताता है कि यहां का कांग्रेसी उम्मीदवार हमेशा नेताओं की अंदरूनी गुटबाजी से पराजित होता आ रहा है, हमेशा‌ की तरह 2024 में भी स्थानीय कांग्रेसी नेता अपनी अंदरूनी गुटबाजी का शिकार अभी से बनकर मुलक की सक्रियता को हजम नहीं कर पा रहे हैं और एक बार फिर उनके मुंह से वहीं पुरानी राग ” बाहरी बनाम स्थानीय” निकलने लगी है.

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