नई दिल्ली। (एजेंसी)। तमिलनाडु में चिकित्सा पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए आयोजित होने वाली राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के खिलाफ राज्य विधानसभा में पारित विधेयक को राज्यपाल द्वारा लौटाए जाने का मुद्दे पर विपक्षी दलों ने शुक्रवार को राज्यसभा में नारेबाजी करने के बाद उच्च सदन से बहिर्गमन किया। आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाने के बाद राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने जैसे ही प्रश्नकाल शुरू किया, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के सदस्य तिरुचि शिवा ने यह मुद्दा उठाने की कोशिश की, लेकिन सभापति ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी। नायडू ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में सदस्यों की ओर से जो भी नोटिस दिए गए हैं, उन्होंने उसे अस्वीकार कर दिया है। विपक्ष के कुछ सदस्यों ने नियम 267 के तहत इस मामले को उठाने के लिए नोटिस दिया था। इस बीच, द्रमुक के सदस्यों ने नारेबाजी आरंभ कर दी। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने भी इस मुद्दे पर द्रमुक का साथ दिया। सभापति नायडू ने नारेबाजी कर रहे सदस्यों से कहा कि वह शून्यकाल चलने दें और राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान वह इस मुद्दे को उठा सकते हैं। हालांकि विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी जारी रखी और अपनी मांग पर अड़े रहे। कुछ विपक्षी सदस्य सभापति के आसन के निकट भी पहुंच गए और नारेबाजी करने लगे। इस बीच, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे अपनी सीट पर खड़े हो गए और उन्होंने भी इस मुद्दे को उठाना चाहा, लेकिन सभापति ने उन्हें भी अनुमति नहीं दी। नारेबाजी कर रहे सदस्य राज्यपाल को वापस बुलाए जाने की मांग करते सुने गए। शोर-शराबे के बीच ही कई सदस्यों ने शून्य काल के तहत अपने मुद्दे उठाए। हंगामे के बाद भी जब नायडू ने विपक्षी दलों को इस मुद्दे को उठाने की अनुमति नहीं दी तो वह सदन से बहिर्गमन कर गए। द्रमुक के साथ ही कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य इसमें शामिल थे। बाद में सभापति नायडू ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से सदन की कार्यवाही बगैर किसी व्यवधान के और सुचारू रूप से चल रही थी और लोग इसे देखकर प्रसन्न थे। उन्होंने कहा कि आज 30 मिनट के भीतर शून्य काल के तहत 14 सदस्यों ने अपने मुद्दे उठाए और यदि बाकी के सदस्यों ने साथ दिया होता तो शेष अन्य तीन मुद्दों को लिया जा सकता था।
यह है मामला
गौरतलब है कि तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने राज्य को राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा (नीट) से छूट देने के प्रावधान वाला विधेयक राज्य सरकार को लौटा दिया है। राजभवन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राज्यपाल ने विधेयक और इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष एम अप्पावु को लौटा दी है। उन्होंने तर्क दिया है कि यह विधेयक ग्रामीण और आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों के हितों के खिलाफ है।