नागपुर।(नामेस)।
एशिया महाद्वीप हमेशा से आध्यात्मिक और दार्शनिक ज्ञान के लिए जाना जाता रहा है. बाकी देशों या महाद्वीपों की तरह यहां हथियार बनाने की कोई रेस नहीं है. लेकिन बदलते समय और देश के सामने उत्पन्न हो रहे अलग-अलग तरह के खतरों के मद्देनज़र हमें अपनी सुरक्षा के बारे में भी ज्ञान होना ज़रूरी है. राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय इस विषय में पाठ्यक्रम शुरू कर रहा है. यह एक अत्यंत सराहनीय और स्वागत योग्य कदम है. इस आशय के विचार राज्यपाल और कुलाधिपति भगत सिंह कोश्यारी ने व्यक्त किए. कोश्यारी बुधवार को शहर में नागपुर विश्वविद्यालय के रक्षा अध्ययन केंद्र के उद्घाटन अवसर पर भाषण दे रहे थे. उन्होंने विश्वविद्यालय की इस क्षेत्र में 11 पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना पर प्रसन्नता व्यक्त की. इस अवसर पर कुलपति डॉ.सुभाष चौधरी, प्रो-वाइस चांसलर डॉ.संजय दुधे, महापौर दयाशंकर तिवारी, रजिस्ट्रार डॉ.राजू हिवासे, एनसीसी ग्रुप कमांडर एम. कलीम एवं अन्य मान्यवर मंच पर उपस्थित थे.
बदलते हालातों के मद्देनज़र यह कदम जरूरी
वर्तमान समय में कई एशियाई देश एक दूसरे को नष्ट करके अपनी ताकत साबित करना चाहते हैं और इसके लिए इन देशों की सरकारें आर्म्स रेस में लगी हैं. अतः विश्वविद्यालय ने इस कोर्स को शुरू करने की जरूरत महसूस की है. नागपुर में कौशल पर आधारित शिक्षा और प्रशिक्षण देना अत्यंत महत्वपूर्ण है. शहर के विकास को देखते हुए इस तरह के कोर्स के ज़रिए छात्रों को रोज़गार दिलाने में सहायता प्राप्त होगी और उद्यमिता को भी बढ़ावा मिलेगा. कार्यक्रम का संचालन डॉ.अभय मुद्गल ने किया और डॉ.दुधे ने आभार माना.
रोज़गार के अवसर पैदा करने में होगा मददगार
गोला-बारूद एवं अन्य हथियारों के उत्पादन में बड़ी संख्या में कंपनियां शामिल होंगी. न केवल वैज्ञानिक-इंजीनियर, बल्कि मैकेनिक और अन्य कर्मचारियों की भी आवश्यकता होगी, जिससे रोज़गार के अवसर पैदा होंगे. कोश्यारी ने कहा कि विश्वविद्यालय छात्रों को भविष्य के विकास के लिए कौशल हासिल करने का अवसर प्रदान करना चाहता है. इसलिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है.