मोदी से कहो हमें पाक से आजाद कराएं – पीओके में बिगड़ते हालात और पूर्व आर्मी चीफ वीके सिंह का बयान

पीओके अपने आप ही भारत में आ जाएगा, थोड़ी ठंड रखो…।’ यह बयान पूर्व आर्मी चीफ और केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने दिया और हलचल मचा दी। वीके सिंह के बयान पर विपक्षी दल के नेता संजय राउत ने पलटवार किया। कहा कि जब आप सेना प्रमुख थे, तब यह कोशिश करनी चाहिए थी। नेताओं की बयानबाजी ने पीओके को फिर सुर्खियों में ला दिया है। लेकिन, सवाल यह है कि पीओके में जमीनी हालात क्या हैं? महंगाई और रोजमर्रा की जरूरतों के लिए दर-दर भटक रहे पीओके के लोग भारत से जुड़ना चाह रहे हैं। सोशल मीडिया पर कश्मीरी कार्यकर्ता शब्बीर चौधरी ने वीडियो के जरिए बताया है कि पीओके की जनता पाकिस्तानी हुकूमत के खिलाफ सड़कों पर उतर चुकी है। लोग स्लोगन लगा रहे हैं- हम भूख से मर रहे हैं, मोदी से कहो हमें पाकिस्तान से आजाद कराएं..।
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में रह रहे लोग भोजन की कमी, आसमान छूती महंगाई और अत्यधिक कर लगाने के विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं। शहरों से लेकर गांव तक सब जगह बुरा हाल है। जम्मू और कश्मीर के एक कार्यकर्ता शब्बीर चौधरी ने आम जनता की चिंताओं को सोशल मीडिया पर उठाया है और पूरे क्षेत्र में हो रहे भारी विरोध प्रदर्शनों के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराया।
सोशल मीडिया पर साझा किए गए नवीनतम वीडियो में चौधरी ने कहा कि पीओके के लोग खाद्य असुरक्षा, उच्च मुद्रास्फीति और अनुचित कर लगाने सहित कई अन्य चिंताओं का सामना कर रहे हैं।
पीओके के लोगों का मोदी को संदेश
उन्होंने कहा कि पीओके में रहने वाले लोग भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद मांग रहे हैं और उनसे उन्हें पाकिस्तान के अवैध कब्जे से मुक्त कराने की अपील कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान इस बात से परेशान है लेकिन सबसे आश्चर्यजनक बात जो मुझे सुनने को मिली, वह यह कि पीओके में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास रहने वाले लोगों ने नारे लगाए, ‘मोदी (भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) से हमें पाकिस्तान के अवैध कब्जे से आजादी दिलाने के लिए कहो। हम भूख से मर रहे हैं, कृपया यहां आएं और हमारी मदद करें”।
भयंकर आर्थिक संकट से जूझ रहा पाक
पिछले तीन महीनों में, नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में बिजली की कीमत दोगुनी हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप विरोध प्रदर्शन और व्यापक गुस्सा है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में गेहूं के आटे और अन्य जरूरतों पर भारी करों के कारण लोग पीड़ित हैं।

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