मीडिया द्वारा मुसलमानों के खिलाफ फैलाई जा रही भ्रामक खबरे

सेवा में निवेदन है की, 11 जून को नागपुर से प्रकाशित लोकमत समाचार में लोकसभा चुनाव मतदान के संबंध में प्रकाशित खबर सीधे तौर पर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा नज़र आ रही है जिसकी शिकायत हम आपसे कर रहे है। लोकमत समाचार ने पूर्व नियोजित साजिश के तहत अपनी खबर के माध्यम से नागपुर में मुसलमानों का मतदान प्रतिशत कम दिखाया है तथा यह दावा करके भ्रम पैदा करने की कोशिश की है कि भाजन को 22 प्रतिशत मुस्लिम वोट मिले हैं। लोकमत समाचार ने 165 मतदान केंद्र का उल्लेख किया है और जिस तरह से उसने अपनी खबर को प्रस्तुत करने की कोशिश की है, वह सीधे मुसलमानों के राजनीतिक अस्तित्व को खत्म करने वाला लेख है। इन सवालों के जरिए इस साजिश को समझें । क्या मुसलमानों ने लोकमत समाचार से ऐसा डेटा प्रकाशित करने की मांग की थी ?
क्या यह डेटा चुनाव आयोग ने जारी किया है ? अगर जाति और धर्म के आधार पर खबरें प्रकाशित करनी थी, तो सिर्फ मुसलमानों की संख्या क्यों दिखाई गई दूसरे सभी खातों की प्रति जानकारियां क्यों नहीं प्रकाशित की गई ? अगर ये यूथ विधानसभा के हिसाब से दिखाए गए हैं, तो कुल युथो और कुल मतदान व कुल मतदाताओं की संख्या क्यों नहीं दिखाई गई ? दक्षिण-पश्चिम के यूथों का जिक्र क्यों नहीं किया गया ? 165 यूथों के कुल वोटों की जानकारी पाठकों से क्यों छिपाई गई ? डेटा लिया गया है, उनमें से कितने यूथकों पर सिर्फ मुस्लिम वोट वाले हैं और कितने बूथों पर सिर्फ हिंदू, वोट है ? नागपूर विधानसभा के अनुसार हिंदू और मुस्लिम बहुल दो मतदान केंद्र हैं। इन 165 में से कुछ यूथ पैसे हैं, जहाँ सबसे कम मुस्लिम मतदान हुआ और कुछ यूथ ऐसा है, जहाँ सबसे ज्यादा हिंदू मतदान हुआ। जब हम ऐसे कई सवालों के जवाब तलाशने निकले तो पता चला कि लोकमत ने जानबूझकर एक सोची समझी साजिश के तहत यह लेख प्रकाशित किया है, ताकि मुसलमानों का राजनीतिक अस्तित्व खत्म किया जा सके । लोकमत समाचार द्वारा रची गई साजिश के अनुसार कोई भी राजनीतिक पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में मुसलमानों को टिकट नहीं देगी और न ही नागपुर नगर निगम में मुसलमानों को टिकट देगी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से, हम नागपुर के मुसलमान अपने समाज के राजनीतिक अस्तित्व को समाप्त करने की लोकमत समाचार की साजिश के खिलाफ अपनी आवाज उड़ा रहें है, ताकि नागपुर शहर में हिंदू और मुसलमानों के बीच सामाजिक भाई चारा बरकरार रहें

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