मराठों को कुणबी जाति का प्रमाणपत्र दिया तो राज्य भर में होगा आंदोलन

राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के अध्यक्ष बबनराव तायवाड़े ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि मराठा समुदाय को कुणबी जाति का प्रमाणपत्र दिया गया तो राज्य भर में ओबीसी महासंघ आंदोलन करेगा. उन्होंने कहा कि ओबीसी प्रवर्ग में से मराठों को आरक्षण देने की किसी भी कोशिश का पुरजोर विरोध किया जाएगा.
याद रहे कि राज्य सरकार ने मराठा समुदाय को निजामकालीन दस्तावेज होने पर कुणबी जाति का प्रमाणपत्र देने की घोषणा आज की है. उसी के जवाब में तायवाड़े ने उक्त चेतावनी दी है.
1 जून 2004 को, सामाजिक न्याय विभाग ने महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची को संशोधित करते हुए एक सरकारी आदेश जारी किया था। मराठा समाज को आरक्षण देने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे मनोज जारांगे पाटिल ने मांग की है कि सरकार के इस फैसले को संशोधित कर मराठवाड़ा में लागू किया जाए.
महासंघ ने एक बयान जारी कर कहा कि सरकार के इस फैसले की शुरूआत में ही कहा गया है कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार ही अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची में नई जातियों को शामिल किया गया है। हमारा भी कहना यही है. नई जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची में शामिल करने का अधिकार केवल राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को ही है. राज्य सरकार को यह अधिकार नहीं है.
ओबीसी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्राचार्य बबनराव तायवाड़े ने अपनी दृढ़ राय व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार मराठवाड़ा में मराठों को ओबीसी कैटेगरी में से आरक्षण नहीं दे सकती.ओबीसी कैटेगरी में 400 जातियां शामिल
राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ ने जिला कलेक्टरों को एक ज्ञापन सौंप कर कहा था कि ओबीसी में पहले से ही लगभग 400 जातियां शामिल हैं, इसलिए ओबीसी श्रेणी में से मराठों को आरक्षण देने के किसी भी प्रयास को विफल कर दिया जाएगा। सरकार मराठों को ओबीसी प्रवर्ग से आरक्षण न दे, मराठों के आरक्षण के लिए अन्य विकल्प तलाशा जाए और आरक्षण दिया जाए. राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के केंद्रीय सचिव शरद वानखेड़े ने कहा कि इस पर ओबीसी समुदाय को कोई आपत्ति भी नहीं है.
राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के अध्यक्ष बबनराव ताइवाड़े ने कहा कि अगर मराठवाड़ा के निवासी के 1967 से पहले के राजस्व या शैक्षणिक प्रमाणपत्र में कहीं भी कुणबी का उल्लेख है, तो कोई भी आसानी से कुणबी जाति का प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकता है। लेकिन ऐसी किसी भी जाति को उस वक्त तक कोई प्रमाणपत्र नहीं दिया जा सकता जब तक कि इन दस्तावेजों में उसका उल्लेख न हो. सरकार द्वारा नियुक्त सचिव स्तर की एक कमेटी ने सामूहिक जांच की और कहा कि ऐसे सबूत नहीं दिए जा सकते हैं.ईडब्ल्यूएस आरक्षण दे सरकार : तायवाड़े
तायवाड़े ने कहा कि किसी भी जाति को ओबीसी श्रेणी में तब तक शामिल नहीं किया जा सकता, जब तक कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग से सिफारिश न मिल जाए। ईडब्ल्यूएस के माध्यम से आरक्षण आसानी से दिया जा सकता है, क्योंकि केंद्र और राज्य में एक ही सरकार है। या फिर 50% आरक्षण की सीमा हटाने के लिए विशेष सत्र में विधेयक पारित कर मराठा आरक्षण की समस्या का समाधान किया जा सकता है. तायवाड़े ने स्पष्ट किया कि ओबीसी समुदाय, साथ ही राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ को ऐसे संवैधानिक उपायों या जनगणना की आधिकारिक घोषणा पर कोई आपत्ति नहीं है।

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