भारत से नेपाल तक तबाही का मंजर

नई दिल्ली। (एजेंसी)।
भारत और नेपाल में भारी बारिश की वजह से भूस्खलन और बाढ़ ने बड़ी तबाही मचाई है। भारत के उत्तराखंड, केरल से लेकर नेपाल में आफत की बारिश, भूस्खलन और बाढ़ की वजह से अब तक 100 से अधिक लोगों की मौतें हो चुकी हैं और दर्जनों लापता बताए जा रहे हैं। अधिकारियों की मानें तो उत्तराखंड में जहां इस तबाही से अब तक 46 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं 11 अब भी लापता हैं। इसके अलावा केरल में बाढ़ और भूस्खलन की वजह से मरने वालों का आंकड़ा 39 पहुंच चुका है।उत्तराखंड में मंगलवार तड़के नैनीताल क्षेत्र में बादल फटने के बाद, बारिश की वजह से अत्यधिक तीव्र बाढ़ और भूस्खलन की एक श्रृंखला शुरू हो गई और कई संरचनाएं नष्ट हो गईं। इन सात अलग-अलग घटनाओं में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई। स्थानीय अधिकारी प्रदीप जैन ने एएफपी को बताया कि मृतकों में से पांच एक ही परिवार से थे, जिसका घर एक बड़े भूस्खलन की वजह से दब गया था। वहीं, उत्तरी अल्मोड़ा जिले में एक और भूस्खलन में विशाल चट्टानों और मिट्टी की एक दीवार के ढहने और उनके घर में समा जाने के बाद पांच लोगों की मौत हो गई। हिमालयी राज्य के दो दूरस्थ जिलों में सोमवार को कम से कम छह अन्य मारे गए। मौसम विभाग की मानें तो कई इलाकों में सोमवार को 400 मिलीमीटर (16 इंच) से अधिक बारिश हुई, जिससे भूस्खलन और बाढ़ आई। अधिकारियों ने स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया है और राज्य में सभी धार्मिक और पर्यटन गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। फिलहाल, उत्तराखंड में बारिश में कमी आई है, मगर खतरा अभी पूरी तरह से टला नहीं है। रामगढ़ में कोसी नदी के कई इलाकों में पानी भरने से 100 से ज्यादा पर्यटक एक रिजॉर्ट में फंस गए हैं। वहीं, नेपाल की बात करें तो आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी हमकला पांडे ने कहा कि पिछले तीन दिनों में देश भर में भारी बारिश के बाद बाढ़ और भूस्खलन से 31 मौतें हुई हैं और 43 लोग लापता हैं। उन्होंने कहा कि अभी भी कई जगहों पर बारिश हो रही है। हम अभी भी क्षेत्र से डेटा इकट्ठा कर रहे हैं और मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है।

हिमालयी क्षेत्र में सामान्य होते भूस्खलन
बता दें कि हिमालयी क्षेत्र में भूस्खलन एक नियमित खतरा है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि वे अधिक सामान्य होते जा रहे हैं, क्योंकि बारिश तेजी से अनिश्चित होती जा रही है और ग्लेशियर पिघल रहे हैं। विशेषज्ञ जलविद्युत बांधों और वनों की कटाई पर निर्माण कार्य को भी दोष देते हैं। फरवरी में उत्तराखंड में एक भीषण बाढ़ ने एक सुदूर घाटी को तहस-नहस कर दिया था, जिसमें लगभग 200 लोग मारे गए थे। वहीं, 2013 की तबाही में वहां कम से कम 5,700 लोग मारे गए थे।

केरल में और बारिश की चेतावनी
ठीक इसी तरह पूवार्नुमानकर्ताओं ने केरल में आने वाले दिनों में और बारिश की चेतावनी भी दी है। राज्य में कई बांध खतरे के निशान के करीब थे और बड़ी नदियों के उफान पर होने के कारण अधिकारी हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहे थे। भारत के मौसम कार्यालय ने कहा कि मंगलवार को थोड़ी राहत के बाद अगले दो दिनों में राज्य में फिर से भारी बारिश होगी। 2018 में तटीय राज्य में एक सदी की सबसे भीषण बाढ़ में लगभग 500 लोगों की मौत हुई थी।

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