भारत मंडपम ने जीता दिल – जी20 डिजिटल संग्रहालय बना इन देशों का साझा मंच

दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन स्थल भारत मंडपम सबसे अधिक सुर्खियां बटोर रहा है. यह एक अनोखी अंतरराष्ट्रीय परियोजना है. इसे एक संस्कृति गलियारा- जी20 डिजिटल संग्रहालय के तौर पर ख्याति मिली है. भारत मंडपम की शोभा ने सबका दिल जीत लिया. इस संस्कृति गलियारा में जी20 के सदस्यों और आमंत्रित देशों की साझा विरासत की यादगार झांकी प्रस्तुत की गई. यहां इन देशों की आधुनिक और सांस्कृतिक महत्व की वस्तुओं की मनोरम प्रदर्शनी लगाई गई.
इसे एक ऐसे संस्कृति गलियारा के तौर पर सजाया गया, जो विभिन्न देशों की संस्कृति, उसके इतिहास, विरासत और मॉडर्न उपलब्धियों को एक साथ एक मंच पर प्रदर्शित करता है. इसका मकसद एक-दूसरे के प्रति सम्मान और समझ को बढ़ावा देना है. यह परियोजना भारत की जी20 थीम ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के मिशन को आगे बढ़ाती है. इस गलियारे को 9 सितंबर 2023 को खोला गया था.
अष्टाध्यायी का महत्व समझा संस्कृति गलियारा में भारत की तरफ से वैज्ञानिक और तकनीकी उपलब्धियों के साथ-साथ प्राचीन महत्व की वस्तुओं का प्रदर्शन किया गया था. जिसमें अष्टाध्यायी भी थी. यह 5वीं-6वीं शताब्दी ईसा पूर्व प्रसिद्ध व्याकरणविद् पाणिनि रचित एक प्रतिष्ठित व्याकरण ग्रंथ है. अष्टाध्यायी में व्याकरण की तुलना ट्यूरिंग मशीन से की गई है, जो एक आदर्श गणितीय मॉडल है.इस प्रदर्शनी के माध्यम से आज के कंप्यूटर जगत में अष्टाध्यायी की अहमियत समझाई गई.
इंडोनेशिया की बाटिक पोशाक इसके अलावा इंडोनेशिया की बाटिक पोशाक की प्रदर्शनी के जरिए इसका महत्व समझाया गया. यह पोशाक वहां की जावानीस संस्कृति में खास महत्व रखती है. इसे मोम लगाकर तैयार किया जाता है. इंडोनेशिया के सामाजिक ताने-बाने में इसकी अपनी जगह है.ब्राजील का नेशनल पार्लियामेंट पैलेस संस्कृति गलियारा में ब्राजील का प्रतिष्ठित नेशनल पार्लियामेंट पैलेस एक आधारशिला के रूप में खड़ा दिखा. यह राष्ट्रपति के महल और संघीय सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ संसद परिसर में संघीय सीनेट और चैंबर ऑफ डेप्युटीज़ के गुंबदों का समर्थन करने वाली मुख्य संरचना है.अर्जेंटीना का पोंचो पोंचो एक प्रकार का आयताकार वस्त्र है. इसे पहली बार 1100 ईस्वी के आसपास सैन जुआन प्रांत में खोजा गया था. यहां प्रदर्शित पोंचो मास्टर-शिल्पकार ग्रेसिएला साल्वाटिएरा की रचना है, जिन्होंने इसे क्रियोलो करघे पर बुना है. यह उनके गृहनगर-लोंड्रेस,कैटामार्का प्रांत की परंपराओं को दर्शाता है.कोरिया रिपब्लिक की टोपी कोरिया को ‘टोपी की भूमि’ कहा जाता है. गैट जोसियन राजवंश (1392-1910) के दौरान पुरुषों की पहनी जाने वाली काली टोपी का अपना इतिहास है. प्राचीन काल से लेकर अब तक समय के साथ इन टोपियों में बदलाव भी देखे गए हैं. वहीं जोकदुरी महिलाओं का साफ़ा है, जिसकी सजावट अनोखी होती है.रूस की महिलाओं की पोशाक पोगोयहां रूस की पारंपरिक खाकस महिला की पोशाक प्रदर्शित की गई. यह शादी के अवसर पर पहनी जाती रही है. ब्रेस्टप्लेट पर पोगो-एक अर्धगोलाकार अलंकरण से सजी होती है. पोगो में मोती, बटन, मोती और कौड़ी के गोले हैं, जो खाकास संस्कृति में समृद्धि का प्रतीक हैं.सऊदी अरब – तायमा स्टील छठी शताब्दी ईसा पूर्व के इस तायमा स्टेल पर दस पंक्तियों वाला अरामी शिलालेख और एक आकर्षक धार्मिक झांकी अंकित है. यह भगवान साल्म के मंदिर में एक पुजारी की नियुक्ति का वर्णन करता है.दक्षिण अफ्रीका – आस्ट्रेलोपिथेकस ऑस्ट्रेलोपिथेकस अफ़्रीकैनस को मिसेज प्लेस के नाम से भी जाना जाता है. यह पुरातात्विक इतिहास में दर्ज होने वाले सबसे शुरुआती होमिनिन में से एक है. डॉ. रॉबर्ट ब्रूम ने इस नमूने की खोज 1947 में की थी. इसका समय 2.5 मिलियन वर्ष से भी अधिक पुराना बताया गया.यूनाइटेड किंगडम – मैग्ना कार्टामैग्ना कार्टा या ग्रेट चार्टर यूनाइटेड किंगडम के इतिहास में सबसे प्रसिद्ध दस्तावेजों में से एक है. हालांकि 1215 में इसकी मूल रचना के पीछे का मकसद राजनीतिक था. मैग्ना कार्टा ने कानून का शासन स्थापित करके राजा और उसकी प्रजा के बीच संबंधों को मौलिक रूप से स्थापित किया था.यूएसए-टायरनी ऑफ मिरर्स‘टायरनी ऑफ मिरर्स’ को न्यूयॉर्क स्थित वैचारिक कलाकार सैनफोर्ड बिगर्स द्वारा शुरू किया गया. पिछले दो दशकों में इस श्रृंखला ने समकालीन कला के क्षेत्र में दो देशों के बीच सांस्कृतिक बातचीत को बढ़ावा देने के लिए प्राचीन रजाइयों का उपयोग किया है. इस पेंटिंग में तीन आयामी क्यूब्स का उपयोग किया जाता है, जो गति में दिखाई देते हैं. यह टम्बलिंग ब्लॉक्स का भ्रम पैदा करता है.इन देशों की सांस्कृतिक वस्तुएं ,बांग्लादेश से शेख मुजीबुर्हमान की प्रतिमा, ऑस्ट्रेलिया के आदिवासी लोगों का एक समूह के योलु, चीन का लोटस तालाब डिजाइन के साथ फहुआ ढक्कन वाला जार, दो नोबेल पुरस्कार विजेचा यूरोपीय संघ की मैरी स्कोडोव्स्का-क्यूरी की कलाकृति को भी संस्कृति गलियारा में स्थान दिया गया. वहीं फ्रांस का औक्सरे फूलदान, जर्मनी का वीडब्ल्यू बीटल, इटली का बेलवेडेर अपोलो और जापान, कोरिया आदि देशों की विरासत से जुड़ी वस्तुओं का प्रदर्शन किया गया.

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