भारतीय सेना की वीरता, शहादत और शौर्य की दास्तां..

26 जुलाई, 1999 को भारतीय रणबांकुरों ने पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ते हुए कारगिल की पहाड़ियों पर तिरंगा लहराया था। जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले की ऊंची चोटियों पर पाकिस्तानी सैनिकों और घुसपैठियों को मुंहतोड़ जवाब देने में जुटे भारतीय जांबाजों के सामने कई तरह की मुश्किलें थीं।पाकिस्तानी सैनिक ऊंची पहाड़ियों पर चौकी बनाकर बैठे थे, लेकिन भारतीय जवानों ने हार नहीं मानी। हमारे जवानों ने अपने अद्म्य साहस का परिचय दिया और जांबाजी से युद्ध लड़ते हुए दुश्मन को खदेड़ दिया। कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर करीब 60 दिनों तक चले युद्ध में भारतीय सेना के जज्बे के सामने पाकिस्तानी सैनिकों ने आखिकार घुटने टेक ही दिए थे। पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने कारगिल में घुसपैठ करवाई थी। पाकिस्तानी सेना और घुसपैठियों ने करगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया था। स्थानीय चरवाहों के जरिये घुसपैठ की जानकारी मिलने पर भारतीय सेना ने 3 मई को ‘ऑपरेशन विजय’ की शुरुआत की थी। 11 मई से इस युद्ध में भारतीय वायुसेना भी शामिल हो गई थी, वायुसेना के लड़ाकू विमान मिराज, मिग-21, मिग 27 और हेलीकॉप्टर ने पाकिस्तानी घुसपैठियों की कमर तोड़कर रख दी थी। 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल का यह युद्ध तकरीबन दो माह तक चला, जिसमें 527 वीर सैनिकों की शहादत देश को देनी पड़ी। 1300 से ज्यादा सैनिक इस जंग में घायल हुए। पाकिस्तान के लगभग 1000 से 1200 सैनिकों की इस जंग में मौत हुई। भारतीय सेना ने अदम्य साहस से जिस तरह कारगिल युद्ध में दुश्मन को खदेड़ा, उस पर हर देशवासी को गर्व है। यह सैन्य ऑपरेशन 26 जुलाई यानी आज ही दिन समाप्त हुआ था।

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