कामठी।
भटके-विमुक्त हक्क परिषद की नागपुर शाखा के शिष्टमंडल ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को उपजिलाधिकारी विजया बनकर के मार्फ़त दिए एक पत्रक में मांग की है कि भटके-विमुक्त और एसबीसी के सेवा पदोन्नति आरक्षण में प्रतिनिधित्व के बारे में सांख्यिकीय जानकारी जोड़कर सुप्रीम कोर्ट में एक संशोधित हलफनामा प्रस्तुत करके सेवा पदोन्नति में आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी पिछड़ा वर्ग के कर्मचारियों की पदोन्नति के संबंध में मुख्य सचिव सीताराम कुंटे शासकीय समिति द्वारा प्रस्तुत हलफनामा उच्चतम न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है। जबकि इसके पृष्ठ 41 और 43 में कहा गया है कि भटके-विमुक्त और विशेष पिछड़ा वर्ग के प्रचार में ‘आरक्षण असंवैधानिक’ है। इससे सभी भटके-विमुक्त और विशेष पिछड़ा वर्ग के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ अन्याय किया है। पिछड़ेपन को साबित करने से दक्षता की उम्मीद की जा रही थी प्रशासन का जो उच्च न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया गया था, इसलिए उच्च न्यायालय ने पदोन्नति आरक्षण जीआर 2004 को रद्द कर दिया, जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने आरक्षण अधिनियम 2001 को बरकरार रखा और केवल नागराज मामले की शर्तों के अनुसार पदोन्नति के फैसले को रद्द कर दिया। भटके-विमुक्त जाति द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल करने की अपेक्षा की गई थी जिसमें कहा गया था कि उनके पास पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।
शिष्टमंडल में भटके-विमुक्त हक्क परिषद विदर्भ विभाग अध्यक्ष महेश गिरी, नागपुर जिला मार्गदर्शक मधुकर गोस्वामी, जिला अध्यक्ष दयालनाथ नानवटकर, भंडारा जिला अध्यक्ष नितेश पुरी, नागपुर कार्याध्यक्ष प्रदीप पुरी,उपाध्यक्ष गोवर्धन बड़गे,सचिव विजय आगरकर,उपाध्यक्ष प्रवीण पाचंगे, भूषण गिरी, विकास पुरी, राजेंद्र गिरी, यशवंत कातरे, अंकित पवार, मुकेश राठौड़, सतीश मोहनकर आदि पदाधिकारी उपस्थित थे।